होली की रात्रि को पूजा,अनुष्ठान और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात्रि में की गयी साधना बहुत फलदायी होती है। होली वर्ष में एक बार आती है और साधकों को साधनाओं का सर्वोत्तम अवसर झोली भरकर दे जाती है। वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य सुशील कुमार पाण्डेय बताते हैं कि इस वर्ष शास्त्रीय मान्यताओं का अनुपालन करते हुए चौबीस मार्च की रात्रि में दस बजकर अठाईस मिनट तक भद्रा रहने के कारण होलिकादहन का मुहूर्त्त दस बजकर अठाईस मिनट के बाद रात भर है।