सुगौली, पू.च: प्रखंड परिसर स्थित प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। पशु पालक अपने पशुओं का इलाज कराने पहुंचते हैं पर बैरंग वापस लौटते हैं,उनका कहना है कि अधिकतर समय मवेशी अस्पताल बन्द ही मिलता है। शनिवार को भी कुरुमटोला के मालबाबू यादव और वार्ड नं 6 सिसवनिया टोला कि रवैया खातून अस्पताल आई थी । पर अस्पताल बंद रहने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। मालबाबू यादव का कहना था कि वह अपने बीमार भैंस को इलाज कराने ले आया तो डाटा ऑपरेटर ने₹700 रुपए मांगे थे। पर उसके पास पांच सौ रुपए ही था जो डाटा ऑपरेटर को भैंस के इलाज के लिए दिया। और इलाज के दूसरे दिन भैंस भी मर गई। वहीं अपनी बकरी के बच्चे का इलाज कराने आई रवैया खातून ने बताया कि अस्पताल में जल्दी कोई नहीं मिलता है कभी मिलने पर इलाज करते हैं और दवा लिखकर बाजार से खरीदने के लिए कहते हैं। हल्काकि मवेशी अस्पताल बंद रहने के कारण डॉ का पक्ष नहीं लिया जा सका। जब लोगों को अपने मवेशियों के लिए बाजार से ही दवा ख़रीदनी पड़ती है तो प्रतिवर्ष लाखों की जो दवाइयां अस्पताल में आती है उसका क्या होता है। अस्पताल के आस-पास गंदगी का अंबार है। चारों तरफ घांस-फूस भरे हुए हैं। लोगों के मवेशियों का ठीक से इलाज नहीं हो पाता है और उन्हें दवा बाजार से ही खरीदनी पड़ती है तो आखिर इस प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय के होने का क्या मतलब है।