निजी स्कूलों से 11वीं में दाखिला लेने के लिए राज्य के मात्र पांच फीसदी विद्यार्थी ही पलायन कर रहे हैं। 10वीं उत्तीर्ण होने के बाद ज्यादातर विद्यार्थी बिहार में ही रह कर प्लस टू की पढ़ाई पूरी करने लगे हैं। इस वर्ष चार से पांच फीसदी विद्यार्थी ही पढ़ने के लिए दूसरे राज्यों में गए हैं। शेष विद्यार्थियों ने बिहार में ही निजी स्कूल या फिर बिहार बोर्ड के इंटर में दाखिला लिया है। यह बातें सीबीएसई और आईसीएससीई के एक अध्ययन में सामने आई हैं। बोर्ड द्वारा यह अध्ययन जून माह में किया गया, जब निजी स्कूल में 11वीं में दाखिले की प्रक्रिया समाप्त हो गई थी। सीबीएसई और आईसीएससीई की मानें तो पिछले पांच साल यानी 2019 से अब तक देखा जा रहा है कि धीरे-धीरे पलायन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है। वर्ष 2018 में जहां 70 फीसदी के लगभग छात्र-छात्राएं कोटा, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे आदि जगहों पर जाकर 11वीं में दाखिला लेते थे, वहीं अब इनकी संख्या पांच फीसदी के आसपास रह गयी है। सीबीएसई की मानें तो ज्यादातर छात्र अन्य शहरों में जाकर कोचिंग में नामांकन लेते थे और कोचिंग के माध्यम से ही किसी स्कूल से 11वीं में दाखिला लेते थे, लेकिन अब इसकी संख्या बहुत ही कम हो गई है। सीबीएसई की मानें तो वर्ष 2023 में बिहार में एक लाख 64 हजार छात्र 10वीं में उत्तीर्ण हुए। इसमें एक लाख 54 हजार छात्रों ने अपने ही शहर में 11वीं में दाखिला लिया। मात्र 10 हजार छात्रों ने ही दूसरे राज्य में दाखिला लिया है। पिछले कई सालों से बिहार बोर्ड द्वारा इंटर में लगातार सीटें बढ़ाई जा रही हैं। नामांकन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। इससे छात्रों का दाखिला लेना आसान हो गया है। एक छात्र को 10 से अधिक कॉलेज और स्कूल में नामांकन के लिए विकल्प भरने का मौका दिया जाता है। नामांकन की सुविधा होने से हर साल निजी स्कूल के हजारों छात्र बिहार बोर्ड में दाखिला ले रहे हैं।