देश में 5 जी सेवा के बाद अब 6जी लाने पर तेजी काम हो रहा है। लेकिन, बिहार में आज भी 45 प्रतिशत लोग संचार सेवाओं से वंचित हैं। ट्राई की ओर से हाल में जारी की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार दूरसंचार घनत्व में सबसे नीचे और दिल्ली शीर्ष पर है। दूरसंचार घनत्व यानी एक क्षेत्र के भीतर रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों पर फोन कनेक्शन की संख्या है। बिहार का दूरसंचार घनत्व 55.23 तो दिल्ली का 273.67 प्रतिशत है। आंकड़ों के मुताबिक 5जी आने के बाद भी सूबे में लगभग 45 आबादी के पास मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है। वहीं, दिल्ली में शत-प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन है। यहां प्रति व्यक्ति दो या इससे अधिक सिम कार्ड भी है। दूरसंचार घनत्व के मामले में देश का राष्ट्रीय औसत 84.51 दर्ज किया गया है। दूरसंचार घनत्व के मामले में बिहार भले ही दिल्ली की तुलना में नीचे है, लेकिन नंबर पोर्टिंग अनुरोधों के मामले में बिहार दिल्ली से आगे है। सूबे में फरवरी में 42.49 मिलियन नंबर पोर्टिंग अनुरोध दर्ज किए गए। वहीं मार्च में 43.29 मिलियन पोर्टिंग अनुरोध आए। पोर्टिंग अनुरोधों के मामले में बिहार केरल और हिमाचल प्रदेश से भी आगे हैं। ● दूरसंचार घनत्व के मामले में बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर ● दिल्ली के बाद दूरसंचार सेवाओं का लाभ लेने में केरल दूसरे स्थान पर क्यों पीछे है बिहार बिहार में मोबाइल टावरों की कमी, आर्थिक पिछड़ापन और दूरसंचार सेवाओं का महंगा होना भी लोगों का मोबाइल फोन सेवाओं से वंचित रहने का बड़ा कारण हैं। राज्यभर में मोबाइल टावरों की कुल संख्या लगभग 45 हजार के करीब है। औसत प्रति दो किलेामीटर पर एक बीटीएस (बेस ट्रांसिवर स्टेशन) है। यहां की कुल आबादी लगभग 12 करोड़ है। सबसे कम दर पर सेवा प्रदान करने वाली कंपनी बीएसएनएल को अच्छे से स्थापित करने की ओर सरकार उदासीन है। निजी सेवा प्रदाताओं से दूरसंचार सेवा का लाभ लेने में लोगों को अधिक भुगतान करना पड़ता है। इस कारण कई लोग दूरसंचार सेवा से वंचित हैं। - संजय कुमार सिंह, सचिव , एनएफटीई ( बिहार सर्किल) आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के बाद दूरसंचार सेवाओं का लाभ लेने में केरल दूसरे और हिमाचल प्रदेश तीसरे स्थान पर है। पहाड़ी क्षेत्र होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में हर व्यक्ति के पास किसी न किसी प्रकार का दूरसंचार कनेक्शन है।