जिले में टीबी उन्मुलन अभियान विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ती जा रही है। जिससे एक ओर जहां जिले में टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं। वहीं, वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को पूरा करने पर भी संशय की स्थिति बनती जा रही है। 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं होती है टीबी की जांच जिला के 27 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच नहीं होती है। क्योंकि इसमें कई जगह जांच का माइक्रोस्कोप ़खराब है तो कई जगह लैब टेक्नीशियन नहीं है। निजी जांच घर के जांच पर टीबी अस्पताल तब तक नहीं मानता है जब तक डाक्टर लिख कर नहीं दे। नतीज़तन सरकारी अस्पताल से मात्र प्रति माह सौ टीबी के मरीज रेफर हो कर आते हैं। वहीं निजी डाक्टर के यहां से करीब 150 मरीज रेफर हो कर आते हैं। जबकि सरकार ने वर्ष 2025 तक जिला से टीबी उन्मुलन का समय निर्धारित है। जिले में 6 हजार से अधिक हैं टीबी के मरीज बताया जाता है कि जिला में अभी करीब 62 सौ टीबी के मरीज हैं। जिसमें दो सौ के करीब एम दी आर के मरीज हैं। इन मरीजों को दवा तो दिया जा रहा है। लेकिन सरकार के टीबी रोग खोज अभियान लगभग शिथिल है। हर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सहित अन्य सेंटर को गांव में घर घर टीबी के मरीज का खोज करनी है। साथ ही टीबी मरीज के परिवार में टीबी बीमारी का पता लगाना है। जो कि विभागीय उदासीनता से शिथिल होता जा रहा है।