motihari दवा की कीमत व जांच का दर बढ़ने से मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है। जबकि सस्ती दर पर दवा के लिए जेनरिक व प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की जिले में भारी कमी है। मात्र एक जेनरिक दवा की दुकान सदर अस्पताल में है। वहीं सदर अस्पताल में भी सभी प्रकार की दवायें उपलब्ध नहीं हैं। जांच की दर व दवाएं हुयीं महंगी जो जांच कुछ महीने पहले तक महज 40 रुपये से सौ रुपये तक हो जाता था, अब उसका रेट दोगुना से लेकर तीन गुणा तक बढ़ गया है। मसलन मधुमेह का जांच 40 रुपये में, यूरिन कल्चर 150 रुपये में, टीसीडीसी 150 रुपये में, ईएसआर 100 रुपये में इसी प्रकार अन्य जांच का रेट भी कम था। मगर अब यूरिन कल्चर हजार रुपये में, मधुमेह की जांच सौ रुपये में हो रहा है। इसी तरह अन्य जांच का रेट भी बढ़ गया है। स्थिति यह है कि इलाज में सामान्य परिवार को कर्ज लेना पड़ता है। 281 की जगह मिल रही मात्र 94 प्रकार की दवा बताते हैं कि सरकारी अस्पताल में जांच व 281 प्रकार की दवा देने की सूचना से मरीजो में राहत था। फिलहाल 94 प्रकार की दवा ही सदर अस्पताल में मिल रही है। मगर यह पर्याप्त नहीं है। जांच भी 17 प्रकार का होता है। मगर जांच की संख्या भी बढ़ाना जरूर हो गया है। ऐसे में मरीजों को महंगी दवा व महंगी जांच के लिए निजी दवा दुकान से लेकर निजी जांच घर में जाना पड़ता है। बताते हैं कि अभी के समय में सबसे अधिक बिकने वाली दवा मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हार्ट की दवा के अलावे एंटीबायोटिक दवा है। साथ ही पेट की दवा व एलर्जी की दवा के साथ साथ टॉनिक की बिक्री अधिक है। इन दवाओं की कीमत अधिक होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। जानकर बताते हैं कि जब अस्पताल में 281 प्रकार की दवा व जांच की सुविधा बढ़ जाएगी तो मरीजों को राहत मिलेगी।
