प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मां का स्थान सर्वोच्च होता है यूं तो भारत में संपूर्ण नारी जाति को पूज्य माना जाता है लेकिन इनमें मां को सर्वोत्तम इसलिए माना जाता है जिस मां ने हमें पैदा किया उस मां के चरणों में प्रतिदिन पुष्प अर्पित करके हम उनके प्रति अपनी श्रद्धा भक्ति एवं कृतज्ञता अर्पित करते हैं इसलिए हमारा दायित्व है कि इस मातृ दिवस को अपने जीवन के सर्वोच्च दिवस के रूप में मनाएं यह भाव अगर बच्चों को बचपन में भर दिया जाए तो आगे चलकर वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने के पश्चात व्यक्ति में मां के प्रति आदर सम्मान बना रहेगा मातृ दिवस के अवसर पर वरिष्ठ शिक्षाविद सुदर्शन जी महाराज के द्वारा बच्चों को संबोधित करते हुए कही