रात मे कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सोनो से 50 लड़कियां हुई फरार। <बच्चियों ने भोजन न मिलने को बताई मुख्य वजह> <वार्डन की अनुपस्थिति में हुई घटना> <विद्यालय के प्रबंधक और संचालक का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार> <प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया> सोनो (जमुई)/ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत एकमात्र आवासीय विद्यालय के रूप में चिन्हित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से पूर्वाहन 4:00 बजे ऐसी घटना घटी जिसने विद्यालयी व्यवस्था से लेकर संचालन पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए। दिनांक 10 सितंबर के प्रातः 4:00 बजे विद्यालय में रहने वाली 50 छात्राएं एक साथ गेट खोलकर विद्यालय से फरार हो गई, मामले की सूचना मिलने के पश्चात विद्यालय की सहायक शिक्षिका और रात्रि प्रहरी ने छात्राओं का पीछा कर उन्हें वापस लाने का भरसक प्रयास किया जो असफल रहा। विद्यालय के रात्रि प्रहरी अविनाश कुमार ने उक्त घटना की सूचना मिलने के पश्चात छात्रों का पीछा करते हुए थाना परिसर के आसपास तीन छात्रों को किसी तरह समझा बुझाकर वापस कराया। विद्यालय में उपस्थित वार्डन का कार्यभार संभाल रही सहायक अंशकालिक शिक्षिका गुड्डी कुमारी सहित उपस्थित बच्चों से जब उक्त मामले को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि रात में भोजन नहीं मिलने के कारण सभी को भूखे पेट सोना पड़ा, जिसके कारण सभी छात्राओं ने ऐसा कदम उठाया। विद्यालय संचालन व्यवस्था को लेकर इस तरह की घटना कहीं ना कहीं वार्डन और प्रबंधक के लापरवाह रवैया का प्रतिक है, एक और जहां दूर- दराज क्षेत्रों से आई अनुसूचित जाति/ जनजाति की बच्चियों के माता-पिता संचालक और वार्डन के भरोसे बच्चियों के उज्जवल भविष्य का सपना संजो रहे, वहीं दूसरी और रहने वाली बच्चियों को समय पर भोजन न मिलाना शिक्षा विभाग के प्रबंधन व्यवस्था की खामियां उजागर करता। उक्त मामले को लेकर विद्यालय के प्रबंधक प्रशांत कुमार ने बताया कि बच्चियों का विद्यालय होने के कारण उनकी जिम्मेवारी बाहरी कार्यों को लेकर अधिक है विद्यालय के अंदर समस्त कार्यों की जवाबदेही वार्डन रेखा कुमारी के ऊपर है। वार्डन रेखा कुमारी का इन दिनों छुट्टियों पर रहने के कारण अंशकालिक शिक्षिका गुड्डी कुमारी विद्यालय प्रभार का कार्य देख रही। सहायक शिक्षिका ने भोजन की अव्यवस्था को लेकर दबे स्वर में शिकायत दर्ज करते हुए बताया कि बच्चियों को मेन्यू के अनुसार पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता, कभी -कभार रसोइयों की मनमानी के कारण भोजन नहीं बन पाता। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सीताराम दास से ने बच्चियों द्वारा उठाए गए कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए संचालक और वार्डन से उक्त मामले पर गहन पूछताछ करने की बात कही। घटनाक्रम के पश्चात दर्जनों की संख्या में उपस्थित समाजसेवी, बुद्धिजीवीयों और अभिभावकों ने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के प्रबंधक और वार्डन के लापरवाह रवैया की शिकायत करते हुए बताया कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विद्यालय की स्थापना की गई, कहीं ना कहीं वह दूर की कौड़ी होती नजर आ रही, दूर दराज से आई बच्चियों के साथ अपनत्व और मित्रवत व्यवहार न किए जाने के कारण भी बच्चियों ने यह कठोर कदम उठाया।