अनहोनी को होनी कर किसान ने उपजाए बेमौसम फसल << ग्रीष्म ऋतु में किसान ने उपजाई धान की फसल>> << डेढ़ बीघा भूमि पर तैयार हुई बीघा की फसल>> << निरक्षरता को नहीं बनने दिया कृषि कार्य में बाधा>> << अपनी तकनीक से क्षेत्र के अन्य किसानों को करेंगे प्रेरित>> सोनो (जमुई )/भारतीय किसान अपनी मेहनत और लगनशिलता के लिए जगजाहिर है, सदियों से पर्वत पहाड़ और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाते हुए आजीविका के साधन के रूप में प्रयोग करने का पुराना इतिहास रहा है, बदलते सामाजिक परिदृश्य में जमुई जिले के एक किसान ने वर्षों से चली आ रही उस उक्ति को सत्य साबित कर दिया की ज्ञान के लिए कॉलेज की डिग्रियां आवश्यक नहीं। बात सोनो प्रखंड अंतर्गत लखनक्यारी पंचायत से जुड़ा है जहां रहने वाले गुरुदेव मंडल ने अनहोनी को होनी कर ऐसे कारनामे किए जो प्रखंड ही नहीं जमुई जिला के किसानों के लिए मिसाल बन गया, एक और जहां प्रखंड के हजारों किसान धान की खेती के लिए खेतों में बिहन लगा रहे वहीं दूसरी ओर बीहन लगाने के समय पर धान की तैयार फसल काटना अपने आप में किसी अचंभे से कम नहीं। लखनक्यारी निवासी ने ग्रीष्म ऋतु में धान की फसल उपजा अपने आप में जहां बड़ी उपलब्धि हासिल की वही सदियों से खरीफ फसल के रूप में धान की खेती करने वाले किसानों को कृषि की नई तकनीक से अवगत कराया। गुरुदेव मंडल के उपलब्धियों पर गौर किया जाए तो बरसों से कृषि कार्य करते हुए अपने परिवार का गुजर-बसर करते आ रहे ,हर वर्ष खरीफ फसल के रूप में जहां धान उपजाने के बाद फसल की उपज उतनी अच्छी नहीं हो पाती, वही ग्रीष्म ऋतु में धान की उपज वर्षा ऋतु की अपेक्षा कहीं अधिक हुई। गुरुदेव मंडल की सफलता बड़े-बड़े शहरों और महानगरों में मैनेजमेंट और कृषि संबंधित कोर्स करने वाले युवाओं के लिए एक चुनौती से कम नहीं जो अनपढ़ होने के बावजूद सदियों से चली आ रही परंपरा के विपरीत धान की फसल उपजा दी। क्षेत्र के हजारों लाखों किसानों को संदेश देते हुए गुरुदेव मंडल ने बताया कि अगर मन में कोई इच्छा शक्ति जागृत हो जाए तो उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता । पिछले वर्ष मन में जागृत इच्छा को वास्तविकता के धरातल पर उतार समाज के उच्च पदों पर आसीन रसूखदारों के लिए एक सबक है जो सुविधा और तकनीक का रोना रोते।