हिंदी पत्रकारिता का इतिहास जितना गौरवशाली रहा है।सत्ता की चुनौती देता रहा किंतु मौजूदा वक्त में चुनौती तो दूर बल्कि सरकार को इंद्रलोक की देवता मानकर खुश करने लगी है।पत्रकारिता कोई तराजू नही है कि बैलेंसिंग करके चले लेकिन जनहित के मुद्दे को उठाने की परंपरा हमेशा रही है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।