बिहार राज्य के जमुई जिले अंतर्गत गिद्धौर प्रखंड से संजीवन कुमार सिंह जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है, कि पटना हाइकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बनने वाली मानव श्रृंखला में अभिभावकों की अनुमति के बिना बच्चे भाग नहीं लेंगे और इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि इस मामले में राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर सकेगी । पटना हाइकोर्ट के सी.जे. राजेंद्र मेनन ने आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया कि मानव श्रृंखला में भाग नहीं लेने वाले बच्चों पर राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी। इस मामले में 4 सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता का कहना है, कि 11 जनवरी को शिक्षा विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने दहेज उन्मूलन एवं बाल विवाह के विरोध में बननेवाले मानव श्रृंखला में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को छोड़कर शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को इस आयोजन में शामिल होने के निर्देश दिए। 21 जनवरी के इस आयोजन में बच्चों को लाने एवं उन्हें घर पहुंचाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होगी। इस कार्य के लिए शिक्षकों को वजीफा दिया जाएगा। इस कड़ाके की सर्दीे में बच्चों को घर से निकलने के लिए कैसे बाध्य किया जा सकता है। छात्र-छात्राओं को को नये सत्र के लिए किताबें नहीं दी गई है। इन्हें गर्म कपड़े भी नहीं दिये गये हैं। शिक्षकों से पठन पाठन के अलावा अन्य कार्य लिया जाना भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।