घरों एवं दुकानों के आसपास इनके द्वारा इकट्ठे किए जा रहे कूड़े के ढेर।
पाइप लगाकर घर की पिछवाड़े से सड़क पर गिराया जा रहा पानी, निकासी एवं नाली की नहीं है व्यवस्था।
आखिरकार गांव में कूड़े के ढेर से कब तक जद्दोजहद करेंगे ग्रामीण।
गांव एवं उसके पास के बाजारों में कूड़े का ढेर बढ़ाता जा रहा लोगों की परेशानी, आखिर कब मिलेगा छुटकारा।
पानी निकासी न होने के कारण नल का पानी बह रहा सड़क पर,सड़क में हो गया गड्ढा और टूटने लगी सड़क।
बरसों से कूड़े एवं गाज से भरी पड़ी नाली की सफाई की व्यवस्था हुई शुरू, सफाई कर्मियों ने डाल रखा डेरा।
किसानों को छुट्टा जानवरों से नहीं मिल पा रही निजात, आखिर कब तक परेशान रहेंगे किसान।
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नहीं बढ़ रही है तो साफ सफाई करने वाले लोगों की जिम्मेदारी,आखिर कब तक गंदगी के ढेर पर बैठा रहेगा किशुनगंज बाजार।