उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिला से विकेश प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि यह सच है की आज महिलाएं नौकरी से दूर हो रही हैं। इसका मुख्य कारण है नौकरी का माहौल उनके लिए सुरक्षित नहीं है, साथ ही परिवार उनका साथ नहीं देता है। समाज भी महिलाओं के बाहर काम करने के विरोध में रहता है। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास ख़तम हो रहा है और महिलाएं मजबूर हो जाती है

सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला झाँसी से विकेश कुमार प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने घर के अवधारणाओं को तोड़ना होगा, तभी महिला घर से बाहर निकलेगी और सशक्त बनेगी। समाज को आगे बढ़ाने के लिए पुरुष समाज को आगे आना होगा और कई तरह के काम करने के लिए महिला को आगे आना होगा। महिला हर जगह मेहनत करती है।

भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला झाँसी से विकेश प्रजापति , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि वह दिन दूर नहीं जब अपने बेटों की शादी के लिए लड़की लाना मुश्किल हो जायेगा क्योंकि हम सभी जानते है कि भारत में महिला की जनसँख्या घट रही है। सरकार कहती है बेटी बचाओ बेटी बेटी पढ़ाओ तो बेटी पढ़ तो रही है लेकिन बेटी बच नहीं रही है

तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिला से विकेश प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव हर जगह देखने को मिलती है। चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या कोई और। उन्होंने बताया कि दो-तीन दिन पहले कहीं एक व्यक्ति के एक लड़का और दो लड़कियां थीं इसलिए वे कहते हैं कि भाई लड़कियों को नहीं पढ़ाएंगे क्योंकि उनके लिए एक लड़की को पढ़ाना जरूरी नहीं है । आज हम अन्य विकास क्षेत्रों के बारे में बात करते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मजदूरी अधिक है। बुंदेलखंड में महिलाओं को केवल दो से दो सौ पचास रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं, लेकिन पुरुषों को तीन से चार सौ रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच ज़िला से राजेश पाठक ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पुरुषों की सोच के कारण ही लैंगिक असमानता ज़ारी है। अगर पुरुष महिलाओं को कम न आंके ,उनके सामान ही माने ,हर क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर सकती है ,यह सोच के कारण लैंगिक असामनता समाप्त कर सकते है। लेकिन पुरुष हर समय महिलाओं को खुद से कम देखते है। चाहे वो कार्यस्थल में पैसों की बात हो या किसी क्षेत्र में यात्रा करने की बात हो ,पुरुष महिलाओं को खुद से कम ही आंकते है। यह सोच जबतक रहेगा तब तक लैंगिक असमानता समाप्त नहीं हो सकता है। इसीलिए पुरुषों को ही अपनी सोच बदलनी होगी

दोस्तों, समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए सामाजिक असमानता को दूर करना सबसे ज़रूरी है। शिक्षा, जागरूकता, और कानूनों का कड़ाई से पालन करके हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि _____ हमारे समाज में लैंगिक असमानता क्यों मौजूद हैं? _____आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए सरकार के साथ साथ हमें किस तरह के प्रेस को करने की ज़रूरत है ?

उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी ज़िला से विकेश प्रजापति ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि देश का तरक्की का आंकलन करना है तो पता करना है कि उस देश की महिलाएँ कितनी तरक्की की है। काम के हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान सर्वोपरि है। आज हमारे घर में जो महिलाएँ है ,उनको सम्मान देना है। उनके अधिकारों की रक्षा करना चाहिए। सामान व्यवहार करना चाहिए। लोग जागरूक हो कर समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को कम कर सकते है।