उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच ज़िला से राजेश पाठक ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पुरुषों की सोच के कारण ही लैंगिक असमानता ज़ारी है। अगर पुरुष महिलाओं को कम न आंके ,उनके सामान ही माने ,हर क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर सकती है ,यह सोच के कारण लैंगिक असामनता समाप्त कर सकते है। लेकिन पुरुष हर समय महिलाओं को खुद से कम देखते है। चाहे वो कार्यस्थल में पैसों की बात हो या किसी क्षेत्र में यात्रा करने की बात हो ,पुरुष महिलाओं को खुद से कम ही आंकते है। यह सोच जबतक रहेगा तब तक लैंगिक असमानता समाप्त नहीं हो सकता है। इसीलिए पुरुषों को ही अपनी सोच बदलनी होगी