अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद युग परिवर्तन के अन्तर्गत क्या शबरी व दलित निषाद गुह के कुटुंबियों के साथ हो रहे भेदभाव का अन्त होगा ? ये सवाल भी एक जलती हुई समस्या है, राम का राज्य स्थापित करने के लिए इस समस्या को खत्म करना होगा अन्यथा शबरी के जूठे बेर खाए बिना तथा दलित निषाद को गले लगाए बिना रामायण भी पूरी नहीं होती है तो फिर रामराज का सपना कैसे पूरा होगा ?