अमौली/फतेहपुर सरकार प्रत्येक गांव में मनरेगा के तहत साल में 100 दिन रोजगार देने का दावा कर रही है।लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है।गांव में हजारों लोग ऐसे है जो गांव में रोजगार न मिलने से रोजगार पाने के लिए गांव से बाहर शहर की ओर पलायन कर रहे है इसकी मुख्य वजह गांव में मनरेगा के तहत होने वाले कार्य को मजदूरों की बजाय मशीनों से कराया जाना है। मजदूर केवल जॉब कार्ड ले कर रोजगार के लिए घर में बैठा हुआ है।कुछ ग्रामीणों का कहना है की जॉब कार्ड बने वर्षो हो गए अभी तक एक भी दिन का काम नही मिला।ग्राम प्रधान और सचिव की मिली भगत से अपने चहेतों के खातों में बिना कार्य किये हुए पैसे डलवाकर उन्हें कुछ ही खर्च देकर धन का बंदर बाट कर लिया जाता है।मालूम हो कि अमौली विकास खण्ड व कस्बे स्थित बाकर बाबा मजार के आगे खदरा मोड़ के पास एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा कच्ची पुराई का कार्य कराया जा रहा है। जो की मनरेगा के तहत मजदूरों से कार्य न करा कर तीन दिनों से जेसीबी से कराया जा रहा,जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने ब्लॉक के उच्च अधिकारियों बीडीओ,एडीओ,सचिव से की है।लेकिन जिम्मेदारो ने जेसीबी से कराये जा रहे मनरेगा कार्य को रुकवाना मुनासिब नही समझा है। नतीजतन यथा स्थित आज भी बरकरार है। इस बावत खण्ड विकास अधिकारी विपुल विक्रम सिंह ने बताया की अमौली ग्राम पंचायत मनरेगा के तहत होने वाले कार्यो की कोई भी आईडी जनरेट नही है। जहाँ पर कच्ची पुराई का कार्य चल रहा है वह कार्य कोई व्यक्तिगत करा रहा होगा वो बात अलग है।