नमस्कार/ आदाब दोस्तों, मानवाधिकार अपने आप में एक विस्तृत शब्द है। मानवाधिकार में मानव समुदाय को मिलने वाले हर तरह के अधिकार समाहित है। यह अधिकार हर इंसान को विरासत में मिलते हैं, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या भाषा से संबंधित हो। मानवाधिकार यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं कि सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार किया जाए।लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण हमें समय समय पर मानव अधिकारों का उल्लंघन देखने को मिलता है। मानव अधिकारों का उल्लंघन के खिलाफ एक जुट होकर आवाज बुलंद करने एवं मानव अधिकारों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 10 दिसम्बर 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा अंगीकार की गई और 10 दिसम्बर 1950 को पहली बार मानवाधिकार दिवस मनाई गई. तब से लेकर हर वर्ष 10 दिसम्बर को यह दिवस मनाया जाता है। हर वर्ष मानवाधिकार दिवस के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है और इस वर्ष यानि 2024 का थीम है 'हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी'. इसका मतलब है कि हमें अपने दैनिक जीवन में मानवाधिकारों के महत्व को स्वीकार करना चाहिए. तो साथियों, आइये हम सब अपने अधिकारों को पहचानें और एक जूट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करें। आप सभी श्रोताओं को मोबाइल वाणी परिवार के ओर से मानवाधिकार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!

राजनैतिक सिंद्धांत औऱ प्रक्रियाओं में न्याय सबसे पुरानी अवधारणाओं में से एक है, न्याय के सिद्धांत को लेकर तमाम प्रकार की बातें कहीं गई हैं, जिसे लगभग हर दार्शनिक और विद्वान ने अपने समय के अनुसार समझाया है और सभी ने इसके पक्ष में अपनी आवाज को बुलंद किया है। न्याय को लेकर वर्तमान में भी पूरी दुनिया में आज भी वही विचार हैं, कि किसी भी परिस्थिति में सबको न्याय मिलना चाहिए। इसके उलट भारत में इस समय न्याय के मूल सिद्धामत को खत्म किया जा रहा है। कारण कि यहां न्याय सभी कानूनी प्रक्रियाओं को धता को बताकर एनकाउंटक की बुल्डोजर पर सवार है, जिसमें अपरधियों की जाति और धर्म देखकर न्याय किया जाता है। क्या आपको भी लगता है कि पुलिस को इस तरह की कार्रवाइयां सही हैं और अगर सही हैं तो कितनी सही हैं। आप इस मसले पर क्या सोचते हैं हमें बताइये अपनी राय रिकॉर्ड करके, भले ही इस मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में

समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी जिला से एमपी मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से काजल मिश्रा से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि महिलाओ को जमीनी हक मिलना चाहिए, इससे समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा। लेकिन आज कल गाव के लोग महिलाओं को जमीन पर अधिकार देने से कतराते है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। महिलाओं को उनका हक़ मिलेगा तो महिलाएं सशक्त बनेंगी

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी ज़िला से एमपी मिश्रा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मनसा राम मिश्र से हुई। ये बताते है कि महिलाओं जमीन में पूरा हिस्सा होना चाहिए ।भविष्य में उन्हें लाभ है ,कही आकस्मिक स्थिति आएगी तो वो जमीन से अपना जीवन यापन कर सकती है। कुछ लोग है ,देश में अभी भी रूढ़वादिता है जिस कारण महिलाओं को दर्ज़ा नहीं मिल पा रहा है। यह नहीं होना चाहिए। महिलाओं के प्रति रवैया बदलना चाहिये। हर एक क्षेत्र में महिलाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी जिला से एम.पी.मिश्रा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से दुर्गा प्रसाद मिश्रा से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि महिलाओं को जमीनी हक़ मिलना चाहिए क्युकी उनके जीवन यापन के लिए सर्वोच्च साधन यही रहेगा। भूमि अधिकार मिलने से महिलाओं को किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। आज के समय में ज्यादातर लोग महिलाओं के नाम पर ही जमीन ले रहे हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला अमेठी से एम.पी मिश्रा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से नागेंद्र सिंह से हुई। नागेंद्र सिंह यह बताना चाहते है कि महिलाओं को जमीनी हक़ मिलना चाहिए। इस समय पुरुषों और महिलाओं का लिंगानुपात मामले में महिलाओं की संख्या काफी निंदनीय है और दिन-प्रतिदिन उनका जो आर्थिक पुनराथान हुआ है, जिस तरह से महिला सशक्तिकरण की बात आयी है, उसमे सबसे बड़ा लाभ यह है कि अगर उन्हें भूमि का अधिकार दिया जाता है, तो वे और अधिक सशक्त होंगे और अगर वे अपने परिवार में से एक हैं, अगर वह उत्तराधिकारी होते हैं तो कम से कम भूमि विवाद खत्म हो जाएंगे और यह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। लेकिन गाँवों में आज भी पुरुष महिलाओं को भूमि का अधिकार देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्यूंकि समाज का एक ऐसा वर्ग है जो समाज की मुख्यधारा से जुड़ा नहीं है, जो पुराने गांव की पुरानी चीजों के साथ चल रहा है जो शिक्षा और अन्य दृष्टि में बहुत पिछड़े हुए हैं वही पुरानी चीज़ों को लेकर चल रहा है और समाज में कई क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला अमेठी से एम.पी मिश्रा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से विजय शर्मा से हुई। विजय शर्मा यह बताना चाहते है कि महिलाओं को भूमि अधिकार उन्हें आत्मनिर्भर बना देंगे, जिससे देश-विदेश में प्रगति होगी। इससे पुरुषों को भी लाभ होगा। आज पुरुष जमीन बेचकर खा ले रहे है। महिला बच्चे अनाथ हो रहे हैं, जबकि भूमि उनका सहारा है। अगर उनको जमीनी अधिकार मिलेगा तो वह सभी काम खुद कर सकती है अपना परिवार चला सकती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला अमेठी से एम.पी मिश्रा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राजेश यादव से हुई। राजेश यादव यह बताना चाहते है कि महिला को जमीनी हक मिलना चाहिए। महिलाओं को हक़ मिलना चाहिए उनके साथ अन्याय हो रहा है। सरकार भी यह चाहती है कि उनको अधिकार मिले और अधिकार मिलने से महिला सशक्त बनेंगे , आगे बढ़ेगी और समाज आगे बढ़ेगा। पहले भी महिलाओं को अधिकार मिलता था।

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी से एमपी मिश्रा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अम्बा सिंह से हुई। ये कहते है कि महिलाओं के नाम जमीन होना चाहिए। आगे अगर बच्चे बड़े हो गए , महिला के पास कुछ न रहे और बच्चे उन्हें नहीं पूछे तो आगे उन्हें दिक्कत होगा । महिलाओं के पास जमीनी अधिकार होना चाहिए ताकि किसी भी परिस्थिति में वो आगे अपना भरण पोषण करने लायक रहे