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यह सदी जिस आवाज़ में बोल रही है वह औरत की आवाज़ है, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। सदियों जिसकी पीड़ा पुरुष-शासित समाज के तमाम आर्थिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक ढाँचों की नींव में बिना किसी शिकायत के अपनी बलि देती रही, जिसकी ख़ामोशी पर पुरुषों की वाचाल सभ्यता मानवता की अकेली और स्वयम्भू प्रतिनिधि बनी रही, वह औरत अब बोल रही है। सृष्टि में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर रही है। और कहना न होगा कि इससे एक बड़ा बदलाव मनुष्यता के लैंडस्केप में दिखाई देने लगा है। अनेक औरतें हैं जिन्होंने इस बिन्दु तक आने के लिए अपनी क़ुर्बानी दी है, अनेक हैं जिन्होंने अकेले आगे बढ़कर बाक़ी औरतों के लिए लिए कितने ही बन्द दरवाज़ों को खोला है। अनेक हैं जिनका नाम भी हम नहीं जानते। और अनेक हैं जिनके नाम इतिहास के निर्णायक मोड़ों पर उत्कीर्ण हो गए हैं। इस किताब में अलग-अलग देशों की उन औरतों से वार्ताएँ शामिल हैं जिन्होंने अपने दम-ख़म से, अपने इरादों और हिम्मत से ज़िन्दगी में एक मुकाम हासिल किया है, जिनका एक स्पष्ट नज़रिया है, और यह नज़रिया उन्होंने अपने संघर्षों से, अपनी खुली निगाह से कमाया है। इन्हें पढ़ते हुए हमें मालूम होता है कि आज उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है। पूरी दुनिया और उसके निज़ाम की गहरी समझ भी उनके पास है और उसकी मरम्मत के लिए व्यावहारिक सुझाव भी। वे जानती हैं कि आने वाले समय को कैसा होना चाहिए और कैसा वह नहीं है। पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक़, सीरिया और टर्की से लेकर जापान, रूस, फ़िलिस्तीन, इस्रायल, फ़्रांस, मलेशिया और लन्दन तक की विभिन्न राजनीतिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आने वाली इन महिलाओं से बातचीत की है नासिरा शर्मा ने जिन्हें हम एक सामर्थ्यवान रचनाकार के रूप में जानते हैं, विभिन्न भाषाओं के स्त्री-संवेदी और मानवतावादी साहित्य से भी वे हमें परिचित कराती रही हैं। ये वार्ताएँ साक्षात्कार के प्रचलित फ़्रेम से आगे बढ़कर दरअसल सरोकारों के समान और वैश्विक धरातल पर जाकर किए गए संवाद हैं—इस सदी की औरत की एक मुकम्मल आवाज़।
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मध्यप्रदेश राज्य के सतना जिला से निखिल प्रजापति मोबाइल वाणी के माध्यम से अपनी एक समस्या रिकॉर्ड कर रहे हैं और उनकी यह समस्या गाँव की है। उनके गांव में बिजली का खम्बा नहीं है
मध्यप्रदेश राज्य के जिला सतना से संध्या विश्वकर्मा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि महंगाई बहुत बढ़ गयी है। सरकार की गलत अर्थव्यवस्था , मांग के अनुरूप उत्पादन की कमी , काला बाजार , मुनाफाखोरी , भ्रष्टाचार और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि आदि । इसका मुख्या कारण यह है कि मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। सरकार के सभी प्रयास व्यर्थ जा रहे हैं , और आम जनता की सारी क्षमता कम हो रही है , और हर कोई रोटी और कपड़ों के आवास को लेकर चिंतित है । जीवन में मुद्रास्फीति अराजकता पैदा कर रही है । आपराधिक प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं । असमानता का अंतर व्यापक और गहरा होता जा रहा है । इस प्रकार मुद्रास्फीति प्रभावित हो रही है ।
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