उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि आज के आधुनिक युग में जब हम लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करने का दावा करते हैं, ऐसे में भूमि अधिकार महिलाओं के लिए भी उतने ही जरूरी हैं, जितने की पुरुषों के लिए । आज हम जिस समाज में रहते हैं यहां अचल संपत्ति के रूप में जमीन अधिकार की बात सामने आती है, लेकिन जमीन अधिकार बड़े अनुपात में आज भी पुरुषों के पास ही होते हैं । हालांकि इस बदलते समाज में हम लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत इससे जुदा है । दरअसल हमारा भारत गांव में बसता है, और गांव में आज भी शिक्षा की भारी कमी है। हालांकि सरकार और सामाजिक संस्थाओं के द्वारा बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं । लेकिन महिलाओं को अभी भी ग्रामीण इलाकों में पुरुषों के बराबर हक नहीं मिल पा रहा । महिलाओं को भूमि अधिकार में जो चुनौतियां सामने आ रही है, उनमें धार्मिक और सामाजिक परंपराएं मुख्य हैं। परिवार का मार्गदर्शन करने वाले बड़े बुजुर्ग आज भी भूमि अधिकार के मामले में अपने परिवार के पुरुषों को ही चुनते हैं । उन्हें लगता है कि पुरुष को मिले अपने इस अधिकार से वह जमीन का संरक्षण बेहतर तरीके से कर सकते हैं । लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर महिलाओं को भूमि अधिकार मिले तो वह पुरुषों के मुकाबले और बेहतर तरीके से जमीन का संरक्षण कर सकती हैं। एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद में 70 फ़ीसदी भूमि अधिकार पुरुषों के हाथ में है, तो सिर्फ 30 फ़ीसदी भूमि अधिकार ही महिलाओं को मिले हैं । यह अनुपात कहीं से भी लैंगिक समानता के अनुरूप नहीं है। महिलाओं को भूमि अधिकार मिलना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि तभी महिलाएं सशक्त बन सकती हैं, जो की महिला सशक्तिकरण के दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा ।