भारत में लैंगिक असमानता का अर्थ वह सामाजिक घटना है जिसमें पुरुष के सापेक्ष महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर समान व्यवहार नहीं किया जाता है। नमस्कार आप सुन रहे हैं हरदोई मोबाइल वाणी । दोस्तो राजीव की डायरी लेकर आया हैं एक और ज्वलंत मुद्दा । राजीव की डायरी के कड़ी संख्या 27 लैंगिक असमानता हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती। आखिर लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं ? दरअसल हरदोई जिले में लैंगिक असमानता की बात की जाए तो यहां शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक असमानता चरम पर है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाओं पर पुरुषों द्वारा अपने हित से जुड़े नियम थोपे जा रहे है। हमारे क्षेत्र में आज भी महिलाओं के लिए काम के अवसर कम है, धार्मिक समूहों में महिलाओं की भागीदारी नहीं, महिलाओं से जुड़े रोगों के उपचार के लिए ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्णतया अभाव है। लड़को की अपेक्षा लड़कियों के मामले में हमारे समाज में बचपन से ही भेदभाव शुरू हो जाता हैं। परिवार में भी लड़के और लड़कियों को देखने का नजरिया अलग अलग होता है, सुविधाओं के लिहाज से भी लड़कियों को भेदभाव का शिकार होना पड़ता हैं। शैक्षिक असमानता की वजह से उनमें जागरूकता की कमी पाई जाती हैं जिसकी वजह से वह हिंसा का भी शिकार होती रहती हैं। आर्थिक आधार पर भी वह पुरुषों पर ही निर्भर रह रही हैं। हरदोई जनपद के नगरीय इलाको में फैलाई जा रही जागरूकता की वजह से लैंगिक असमानता के अनुपात में कमी आ रही है, यह सुखद कल की ओर इशारा कर रहा हैं, हालांकि हरदोई के ग्रामीण इलाकों में अभी भी लैंगिक समानता को लेकर जागरूकता की कमी है। फिलहाल हरदोई जिले में लैंगिक असमानता के मुख्य कारण प्रचलित सामाजिक व धार्मिक मानदंड हैं, जो यह निर्देश देते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए । लेकिन आधुनिकता के इस दौर में अब इन मानदंडों में परिवर्तन की और लिंग के आधार पर असमानता को खत्म करने की जरूरत है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।