आजादी के 76 वर्ष बाद भी कलवारी गांव के लोगों को अपने घर पहुंचने के लिए रास्ते की तलाश। पगडंडियों से होकर घर पहुंचते हैं गांव के 50 घरों के लोग। खजनी गोरखपुर।। तहसील क्षेत्र के बांसगांव ब्लॉक के परसौनी ग्रामसभा के कलवारी गांव के निवासी 50 घरों के लोगों को देश की आजादी के 76 वर्ष बाद भी अपने घरों तक आने जाने के लिए राह मयस्सर नहीं हो पाई है। देश प्रदेश में हो रहे चौतरफा विकास की खबरें गांव के इन सभी 50 घरों के निवासियों को मुंह चिढ़ाती हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि जब हमें अपने घरों तक आने जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है तो दुनियां भर की सड़कों और लंबे चौड़े रास्तों के बनने का क्या लाभ है। बरसात के दिनों में अपने घरों तक पहुंचने के लिए नारकीय यातनाएं झेलने वाले ग्रामवासियों ने बताया कि 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद राम मंदिर तो बन गया। लेकिन हमें अपनी जन्मभूमि तक पहुंचने की राह नहीं मिल पाई है। गांव के निवासी द्वारिका नाथ शर्मा, महेंद्र शर्मा,फूल चंद शर्मा,विजय शर्मा,बाबू लाल यादव,स्वामी यादव, महेंद्र यादव,राजेश्वर शर्मा, गोपीनाथ शर्मा,राधेश्याम शर्मा, राजेंद्र शर्मा, महगू यादव,देवदत्त शर्मा सहित लगभग 50 लोगों के घर तक आने जाने का रास्ता नहीं है। गांव के मंदिर तक जाने का रास्ता भी नहीं है। इन लोगों का अपने घरों तक पैदल पहुंचना भी दुश्वार है बरसात के समय में आने-जाने की स्थिति और भी बदतर हो जाती है। बताया गया कि परसौनी ग्रामसभा के कलवारी गांव में मनरेगा द्वारा प्रधान कोटे से वर्ष 2012 के पहले रोड पर मिट्टी डालकर निर्माण हो चुका था। किंतु गांव के कुछ दबंगों लोगों के द्वारा उस चकरोड को काटकर फिर से अपने खेतों में मिला लिया गया। जिसकी शिकायत वर्तमान प्रधान रामवती के द्वारा जिला अधिकारी से की गई थी। उसके बाद गांव के द्वारकानाथ शर्मा के द्वारा दर्जनों लोगों के हस्ताक्षर के साथ जिलाधिकारी,उप जिलाधिकारी, मंडलायुक्त,मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर आॅनलाइन शिकायत की गई। किन्तु हर बार उसका कागजी समाधान कर दिया गया और उसका कुछ परिणाम नहीं निकला। चकरोड से मुख्य संपर्क मार्ग तक पहुंचने के लिए सिर्फ 50 मीटर सड़क बनानी है। लेकिन आजादी के बाद से अब तक रोड न बन पाने से लोग आवागमन के लिए नरकीय यातनाएं झेलने को विवश हैं। बता दें कि परसौनी ग्रामसभा विकास खंड बांसगांव तथा खजनी तहसील क्षेत्र का हिस्सा है। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन के द्वारा कभी लोगों की इस मौलिक समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया। हताश, निराश हो चुके ग्रामवासियों ने बताया कि प्रशासन चाहे तो सहमति से रास्ते का निर्माण किया जा सकता है, लेकिन उपेक्षा के कारण कभी गंभीरता पूर्वक हमारी इस समस्या पर विचार ही नहीं किया गया। अधिकारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति और विवाद का हवाला देकर मामले में टालमटोल करते रहे हैं।76 वर्ष बाद भी दुर्भाग्य है कि हमारे घरों तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं। इस संदर्भ में उप जिलाधिकारी खजनी राजू कुमार ने कहा कि रास्ते का मामला गंभीर है, हम स्वयं गांव में जा कर या टीम भेज कर जांच करेंगे। समस्या का समाधान कराया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अदिति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि घरेलू हिंसा , शारीरिक , मानसिक और वित्तीय उत्पीड़न घरेलू हिंसा है । अपराधी परिवार का एक करीबी सदस्य भी होता है , इसलिए पीड़ित हमेशा तनाव में रहती है और डरती है कि वह नहीं जानती कि जब शारीरिक हिंसा मुख्य होगी तो क्या होगा । हत्या , बाल खींचना , यौन संबंध , जीवनसाथी के मामले को मजबूर करना , धमकी देना , काला या कोई अन्य बुरा नाम बुलाना , घर जाने से रोकना , अन्य लोगों से संपर्क करना और मिलना , बच्चों या अन्य लोगों के सामने पैसे के लिए हाथ पकड़ना । घरेलू हिंसा की सूची में कई अत्याचार दर्ज हैं , हर स्थिति में , चुप रहना , अब तक चुप रहना , घर की बात , घर की इच्छा जैसी चीजें पालन - पोषण के दौरान दिमाग में इतनी गहरी हो जाती हैं कि कई बार सुशिक्षित महिलाएं भी इसका शिकार होती हैं। सभी कानूनी जानकारी के बावजूद , घरेलू हिंसा का दर्द बना हुआ है ।
ग्रामीणो ने बिजली निगम का पुतला फूंका ।
तीन हादसों में दो की मौत, पांच घायल ।
आईबी अधिकारी बताकर प्रयागराज में नौकरी दिलाने के नाम पर 15 लाख की ठगी
Transcript Unavailable.
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अमन श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पूर्व की लालिमा को अभी तक पहचाना नहीं गया है , सुबह पूर्व की लालिमा को पहचाना गया है , पक्षियों के जागने से पहले किसान खाट छोड़ देता है , पक्षियों के जागने से पहले ही किसान खाट छोड़ देता है । कोई त्यौहार नहीं , कोई छुट्टी नहीं , कोई दिन भर का काम नहीं , कोई त्योहार नहीं , ऐसे में कौन घर से बाहर आएगा और फिर भी खेतों की रखवाली करेगा ? किसान खेत में आराम नहीं करता , फिर भी किसान बिना आराम किए खेत में काम करता है और आज हम जो कुछ भी खाते हैं और जीते हैं उसका श्रेय केवल किसानों को जाता है ।
जीडीए का बुलडोजर फिर अवैध कॉलोनी की तरफ 20 एकड़ में पहली प्लाटिंग को किया ध्वस्त
Transcript Unavailable.
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के कर्मचारिय ने हद पर 89 हजार रुपए