उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कई क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों की एक अनकही कहानी है। भारत में महिलाओं को लंबे समय से विभिन्न कारणों से पैतृक संपत्ति के अधिकार से वंचित किया गया है, जिसमें घर पर सामाजिक बाधाओं से लेकर कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव तक शामिल हैं। स्थिति में कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं आया है, लेकिन आज स्थिति पहले की तुलना में बहुत बेहतर है। सकारात्मक परिवर्तन और लिंग-तटस्थ कानून की शुरुआत ने स्थिति में सुधार किया है, फिर भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।भारत में लम्बे समय से महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति से वंचित रखा गया है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि धोंगी बाबाओं से सावधान रहें क्योंकि आप सभी जानते हैं कि अगर हम इसे कहीं सुनें तो हम बहुत जल्दी तंत्र मंत्र और धोंगी बाबाओं के प्यार में पड़ जाते हैं। वे कहते हैं कि बाबा बहुत अच्छे हैं और जो कुछ भी वे कहते हैं वह सही है, तो हम उनके पीछे चलते हैं और यह नहीं सोचते कि हम नहीं जानते कि वह हमारे साथ क्या करेंगे। अपने ऊपर मंत्र विद्या का प्रयोग करना शुरू कर देता है और मानता है कि यह वैसा ही है जैसा अभी हाथ के रस की एक गैस निकली है जिसमें ढोंगी बाबा के घेरे में एक सौ पच्चीस लोग हैं। बाबा जो लोगों को अपने पैरों की धूल देते थे उसे पढ़कर उन्होंने अपनी जान गंवा दी है और कहते थे कि इससे उनसे छुटकारा मिल जाएगा। आज वह लोगों से भाग रहा है, इसलिए हमारा जीवन बहुत कीमती है। हमें पाखंडी बाबाओं से सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि हम अच्छी तरह से जीवन जी सकें जो उन्होंने हमें दिया है और अंधविश्वास को बढ़ावा देकर इसे न खोएं, न कि उन्हें तंत्र मंत्र सिखाकर।

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उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि शिक्षा महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है शिक्षित महिलाएं न केवल अपने जीवन में बल्कि समाज में भी सुधार करती हैं। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाती है और उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करती है। शिक्षा महिलाओं को आत्मविश्वासी बनाती है और वे अपने परिवार और समुदाय में महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होती हैं। इसके अलावा, शिक्षा महिलाओं को स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व को समझने में मदद करती है ताकि वे अपनी और अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकें।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को अधिकारों से वंचित करने का मुद्दा सामाजिक-आर्थिक है। महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करना न केवल उनके व्यक्तिगत विकास में बाधा डालता है, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी बाधा डालता है, जब महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा से वंचित किया जाता है। यदि रोजगार के अवसरों से वंचित किया जाता है, तो उनकी प्रतिभा और क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे समाज में असमानता पैदा होती है और महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करने के अलावा आर्थिक विकास धीमा हो जाता है। उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, यह उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखता है और उनके आत्मसम्मान और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

गोरखपुर जिले के सिकरीगंज कस्बे के समीप स्थित कुंआंनों नदी में तैरते हुए मगरमच्छ को देख कर लोगों में दहशत फैल गई। वर्षों से कुंआंनों नदी में किसी को मगरमच्छ नहीं दिखाई दिया था। नदी के पानी में मछलियां पकड़ने पहुंचे मछुआरों ने जैसे ही पानी में तैरते हुए मगरमच्छ को देखा तो मोबाइल फोन से उसकी वीडियो भी बना ली। नदी में मगरमच्छ मिलने की जानकारी मिलते ही यह खबर क्षेत्र में जंगल के आग की तरह फ़ैल गई है। दरअसल कुंआंनों नदी के पानी में प्रायः बच्चे और युवा स्नान करने के लिए पहुंचते हैं, वहीं दिन हो या रात मछुआरे बेखौफ होकर नदी में मछलियां पकड़ने में लगे रहते हैं। पहली बार नदी के पानी में लोगों को मगरमच्छ दिखाई दिया है। स्थानीय लोगों में तबरेज, संतोष, हिमांशु, राहुल, विवेक मौर्या, सुधीर शर्मा,असलम, जावेद रमेश आदि ने बताया कि नदी में बाढ़ आई है पानी लबालब भर चुका है। पहली बार नदी के पानी में मगरमच्छ दिखाई दिया है, अब हम सभी को सतर्क रहना होगा।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हमारी महिलाएं पुरुषों से बहुत पीछे हैं क्योंकि वे ही हैं जो उन्हें अधिकार देने में पीछे रहती हैं। पहले तो वे कहते हैं कि हां, महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं, लेकिन जब अधिकारों की बात आती है, तो वे पुरुष पीछे हट जाते हैं जो महिलाएं हमसे उम्मीद करती हैं। कमजोर लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं, उन्हें लगता है कि आज महिलाएं हर चीज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। यह बात है कि महिलाओं को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए या नहीं, इसलिए आज हमारे देश में अदालत ने भी इसे पिता की जमीन पर लागू किया है। बेटों के समान ही बेटियों का भी अधिकार है, इसलिए हम अपने बच्चों को जो हिस्सा बेटों को देते हैं, हमारी बेटियों का भी उसमें पूरा अधिकार होता है, इसलिए हर माता-पिता को अपनी पैतृक भूमि में यह चाहिए। मैं अपनी बेटियों को भी पूरा अधिकार दूंगा ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। अगर उनके नाम पर जमीन होगी तो वे हर क्षेत्र में मजबूत होंगे। वह कमजोर नहीं होगी, अगर कोई आवश्यकता होगी तो वह खुद को आर्थिक रूप से मजबूत समझेगी। अब यह पहले के समय से चल रहा है जब माता-पिता लड़कियों के रिश्ते देखने जाते थे, वे देखते थे। लड़के-लड़कियां देखते थे कि उनके पास कितनी जमीन है, घर आदि हैं, लेकिन वे जमीन देखते थे ताकि वे सोच सकें कि अगर कभी हमारी बेटियों को परेशानी हो तो कम से कम उनके पास कुछ अचल संपत्ति है लेकिन यह कहने की बात है क्योंकि ससुराल में भी लड़कियों को वह अधिकार नहीं मिलता है जो वे सुरक्षित रखती हैं। यह बहू और बहू की है, लेकिन जब अधिकार देने की बात आती है तो वे पीछे हट जाते हैं, इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को इतना लिख कर आगे ले जाना चाहिए। उ. कि वह अपने हर अधिकार के लिए लड़ सके और महिलाओं के जो भी अधिकार हों, वह उनके अधिकार ले सके। जैसे किसी भी क्षेत्र में, अगर शिक्षा के क्षेत्र में बात आती है, तो लोगों को भी यह विचार आता है कि अरे, हम लड़कियों को और अधिक शिक्षित बनाकर क्या करेंगे कि एक दिन हमें उन्हें ससुराल भेजना पड़े, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ज्यादातर माता-पिता सोचते हैं कि हम अपनी बेटियों को शिक्षित करेंगे और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करेंगे ताकि अगर कोई समस्या हो तो वे कुछ कर सकें, वे अपने ससुराल वालों पर निर्भर न रहें, इसलिए यह माता-पिता की जिम्मेदारी है। यानी अपने बच्चों को लिखना सिखाएं और उन्हें अपने बेटों के समान हिस्सा दें, क्योंकि आज आप देखेंगे कि माता-पिता को उनके बेटों द्वारा कितना प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन अगर केवल तभी।

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उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है जो समाज में समानता और सामाजिक न्याय की दिशा है। भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। दुनिया भर में कई स्थानों पर महिलाओं के लिए भूमि का स्वामित्व कभी एक विशेषाधिकार था। समस्या यह रही है कि जिन समाजों में महिलाओं को सामाजिक और धार्मिक परंपराओं के अनुसार पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है, वहां उन्हें भूमि के स्वामित्व और उपयोग में विवादों का सामना करना पड़ता है। संपत्ति के स्वामित्व के लिए लड़ना चाहिए क्योंकि यह उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करता है, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करता है और उन्हें समाज में आत्मसम्मान और सम्मान प्राप्त करने में मदद करता है। सरकारों को महिलाओं के भूमि स्वामित्व के अधिकार सुनिश्चित करने और उन्हें सुरक्षित और स्थायी बनाने के लिए मजबूत कानूनी उपाय करने चाहिए, साथ ही उन्हें अपने परिवार और समाज को बेहतर बनाने में मदद करनी चाहिए।

अपना देश भारत अगली सदी में भी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। भारत की जनसंख्या 2060 के दशक के मध्य में चरम पर होगी। इस रिपोर्ट में जानें सरकार क्या कर रही और देश के कौन से राज्यों में है सबसे ज्यादा फर्टिलिटी अर्थात प्रजनन की दर...! देश के 31 राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि दर पर काबू किया है, लेकिन ऐसे 5 राज्य हैं जहां देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत दुनियां की सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत की आबादी चीन से भी आगे निकल गई है। जिसके कारण हमारे संसाधन कम होते जा रहे हैं और यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में हम पानी के लिए भी तरस जाएंगे। अभी हाल ही में हमने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत का हाल देखा भी है। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2.1 फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) पर खुद को सीमित कर लिया है। 2.1 अर्थात एक परिवार (एक माता-पिता) की एक संतान इस फर्टिलिटी रेट को भारत की जनसंख्या के हिसाब से बेहतर फर्टिलिटी रेट बताया जा रहा है। इससे भारत में न तो नौजवानों की कमी होगी और न ही बूढ़े लोगों की संख्या नौजवानों की तुलना में ज्यादा बढ़ेगी। इस समय जापान ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है। वहां बूढ़े लोगों की संख्या नौजवानों से बहुत अधिक हो गई है। विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस समस्या को काबू करने के लिए हाई फर्टिलिटी रेट वाले राज्यों के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। जेपी नड्डा ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकेगा, जब भारत के लोग स्वस्थ रहें और यह तभी मुमकिन है जब परिवार छोटे हों। 1950 में भारत का टीएफआर (टोटल फर्टिलिटी रेट) 6.18 था, 1980 तक यह 4.6 पर आ गया। 2021 में टीएफआर 1.91 हो गया था। यह स्टेबल (स्थिर) जनसंख्या के लिहाज से नीचे था। एक अध्ययन में हाल ही में कहा गया है कि भारत की टीएफआर 2050 तक 1.29 हो सकती है। सबसे अधिक प्रजनन वाले राज्यों में बिहार में प्रजनन दर 3 है, मेघालय में 2.9, उत्तर प्रदेश में 2.4, झारखंड में 2.3 और मणिपुर में 2.2 है। वहीं कम प्रजनन वाले राज्यों में सिक्किम में प्रजनन दर 1.1 है, गोवा में 1.35, लद्दाख में 1.35, लक्षद्वीप में 1.38 और चंडीगढ़ में 1.39 है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत की जनसंख्या 2060 के दशक की शुरुआत में लगभग 1.7 अरब तक पहुंच जाने का अनुमान है, और उसके बाद इसमें 12 प्रतिशत की कमी आएगी, लेकिन इसके बावजूद यह पूरी शताब्दी के दौरान विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 50-60 वर्षों के दौरान दुनियां की जनसंख्या में वृद्धि जारी रहने का अनुमान है साथ ही 2024 में यह 8.2 अरब तक पहुंच जाएगी, जबकि 2080 के दशक के मध्य तक लगभग दुनियां की आबादी लगभग 10.3 अरब हो जाएगी। हालांकि, चरम स्थिति पर पहुंचने के बाद वैश्विक जनसंख्या में धीरे-धीरे गिरावट आने का अनुमान है और यह सदी के अंत तक घटकर 10.2 अरब रह जाएगी। भारत पिछले साल चीन को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, और वर्ष 2100 तक उसी स्थान पर बना रहेगा। जनसंख्या विशेषज्ञ मनु गौड़ ने कहा कि यह बहुत विचित्र स्थिति है। मजे की बात यह है कि 1952 में सबसे पहले भारत ने परिवार नियोजन की प्लानिंग की थी और आज हम दुनियां में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुके हैं। जनसंख्या के मामले में यह हमारी अब तक की सरकारों की नाकामियों को दर्शाता है। भारत सरकार को जल्दी ही इस पर एक नीति बनाने की जरूरत है। यह जो अभी के आंकड़े हैं, वो सैंपल हैं, हमारे असली आंकड़े 2011 के हैं। इसके बाद जनगणना नहीं हुई है। इसे भी जल्दी कराने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि पड़ोसी देश पाकिस्तान का क्या होगा..? संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह भी दावा करती है कि अगले 30 वर्षों में पाकिस्तान दुनियां का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। पाकिस्तान की वर्तमान जनसंख्या 251 मिलियन से बढ़कर 2054 में 389 मिलियन हो जाएगी। पाकिस्तान की जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया से आगे निकल जाएगी। तब भारत की जनसंख्या 1.69 अरब और चीन की 1.21 अरब होने का अनुमान है। आंकड़े बताते हैं कि अब हमें देश की खुशहाली के लिए जनसंख्या नियंत्रण के मामले में सख्त और कड़े फैसले लेने की जरूरत है।