उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भूमि अधिकारों और महिलाओं का सशक्तिकरण और संरक्षण पितृसत्तात्मक प्रणाली में गहराई से निहित है। भूमि पुरुषों के नाम होनी चाहिए नौकरियों के लिए पुरुषों का शहरी इलाकों में पलायन होने के बाद पूरे देश के कृषि क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा, महिलाओं के नाम पर भूमि का स्वामित्व समान नहीं है, और विवाहित महिलाओं पर उनके जीवनसाथी द्वारा पैतृक संपत्ति पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए लगातार दबाव डाला जाता है। आधी आबादी के लिए समान अधिकारों को महसूस करना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। महामारी ने संघर्ष को और अधिक कठिन बना दिया है क्योंकि पूरी दुनिया में महिलाएं हमेशा अपनी आर्थिक स्थिति में हाशिए पर रही हैं। इस बात की सख्त अवहेलना की गई है कि आर्थिक सशक्तिकरण के बिना महिला सशक्तिकरण की दिशा में हर परिभाषा और प्रयास अधूरा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भीड़भाड़, प्रशासनिक लापरवाही और दुर्घटनाएँ। उत्सव के दौरान भीड़ प्रबंधन की कमी कर्तव्य की लापरवाही को दर्शाती हैः धार्मिक स्थानों और अन्य भीड़ वाले क्षेत्रों में भीड़ प्रबंधन पर प्रशासन पूरी तरह से निगरानी की जानी चाहिए। धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए आम लोगों और विशेष लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। व्यवस्था के बिगड़ने का एक मुख्य कारण इस तरह के प्रबंधन में लगे व्यक्ति भी हैं। पुलिस अधिकारी की लापरवाही आमतौर पर भीड़ पर किसी का ध्यान नहीं जाने के लिए जिम्मेदार होती है जब तक कि इसे संभालना मुश्किल न हो। इसलिए, जहां तक संभव हो, भीड़ को छोटे समूहों में विघटित किया जाना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोर सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के लिए शिक्षित होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब एक महिला शिक्षित होती है, तो एक परिवार में सुधार होगा। शिक्षित महिला ,कन्या भ्रूण हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयाँ को दूर करने की कुंजी साबित हो सकती है। यह देश के आर्थिक विकास में भी मदद करता है क्योंकि अधिक से अधिक शिक्षित महिलाएं देश की श्रम शक्ति में भाग ले सकेंगी। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक सर्वेक्षण जारी किया गया है जो बच्चों की पोषण स्थिति और उनकी माताओं की शिक्षा के बीच सीधा संबंध दिखाता है। उनके बच्चे जितने अधिक शिक्षित होते हैं, उन्हें उतना ही अधिक पोषण सहायता मिलती है। इसके अलावा, कई विकास अर्थशास्त्रियों ने लंबे समय से अध्ययन किया है

बजाज आॅटो कंपनी ने कुछ दिनों पहले दुनियां की पहली सीएनजी मोटरसाइकिल फ्रीडम 125 लॉन्च की है। और लॉन्च के तुरंत बाद ही ये सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या बजाज फ्रीडम 125 की कीमतों में कमी आएगी? केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को मोदी सरकार-3 का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी। इस बजट में ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर से जुड़े बड़े ऐलान किए जाने की उम्मीद है। बजाज फ्रीडम 125 की कीमत कम होने की खबरों के पीछे वजह है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का वो बयान जिसमें उन्होंने इस सीएनजी बाइक के दाम 1 लाख रुपये से कम करने की बात कही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बजाज ऑटो के सीईओ राजीव बजाज से इस व्हीकल का दाम 1 लाख रुपये से कम रखने की बात कही है। बजाज फ्रीडम 125 के लॉन्च के साथ ही टू-व्हीलर इंडस्ट्री में बड़ी क्रान्ति आने की उम्मीद है। ट्रेडिशनल पेट्रोल मोटरसाइकिल की तुलना में सीएनजी व्हीकल ज्यादा कॉस्ट-इफेक्टिव और पर्यावरण के लिए बेहतर है। नई बजाज बाइक की ऑपरेटिंग कॉस्ट की बात करें तो आईसीई मोटर साइकिल की तुलना में यह 50 फीसद तक कम है। महाराष्ट्र के पुणे में 5 जुलाई को बजाज फ्रीडम के लॉन्च में केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं राजीव जी से यह निवेदन करूंगा कि व्हीकल का दाम 1 लाख रुपये से कम रखें। इससे यह देश में ज्यादा लोकप्रिय होगी और लोगों को एक साल में ही अपना पैसा वापस मिल जाएगा क्योंकि ऐवरेज के चलते इसमें काफी फायदा है। इसका डिजाइन खूबसूरत है। मैं सोच रहा था इसकी सीएनजी टैंक है कहां' इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने बजाज फ्रीडम 125 के फीचर्स की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, 'क्वॉलिटी को लेकर कोई संदेह नहीं है। सच कहूं तो क्वॉलिटी और क्लैरिटी 21वीं सदी की सबसे बड़ी कैपिटल हैं। क्वॉलिटी में बहुत सुधार है, और मैं खुश हूं कि नई मोटरसाइकिल की क्वॉलिटी काफी बढ़िया है। इस नई पहल, बढ़िया क्वॉलिटी और डिजाइन के साथ 100 प्रतिशत आपको दुनियां में ज्यादा मार्केट मिलेगा। यह बजाज ऑटो की सक्सेस स्टोरी है।' उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत दुनियां का सबसे बड़ा टू-व्हीलर एक्सपोर्ट करने वाला देश है। बजाज फ्रीडम 125 को भारत में तीन वेरियंट में लॉन्च किया गया है। फ्रीडम 125 एनजी04 डिस्क एलईडी की दिल्ली में कीमत 95 हजार रुपये, फ्रीडम 125 एनजी 04 ड्रम एलईडी की कीमत एक लाख 5 हजार रुपये और फ्रीडम 125 एनजी 04 ड्रम की कीमत एक लाख 10 हजार रुपए है। बजाज का दावा है कि नई फ्रीडम सीएनसी 1 किलो सीएनजी में 102 किलोमीटर चलती है, यानी सीएनजी के एक फुल टैंक में यह करीब 200 किलोमीटर तक रेंज ऑफर करेगी। सीएनजी टैंक सीट के नीचे दिया गया है और इसकी क्षमता दो किलोग्राम है। इसके साथ एक दो लीटर पेट्रोल टैंक भी है और इसके साथ ही यह बाइक कुल 330 किलोमीटर की रेंज ऑफर करेगी। जानकारी मिली है कि जल्दी ही टीवीएस कंपनी का सीएनजी स्कूटर भी बाजार में आने की तैयारी में है। निश्चय ही कार्बन उत्सर्जन और बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मददगार एक बड़ा कदम है। जिसका सभी देशवासियों को स्वागत करना होगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि गाँवों या शहरों में लोग लड़कियों और लड़कों की शादी के लिए जाते थे, जहाँ वे देखते थे कि उनकी संपत्ति कितनी है। वह देखते थे कि जमीन की संपत्ति कितनी है ताकि भविष्य में उनकी बेटियों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। बेटियों को अपने बेटों के बराबर संपत्ति का अधिकार नहीं दिया गया था, जो गलत है। आपको बता दें कि बेट संपाई हिंदू धारा अधिनियम उन्नीस सौ छप्पन में वर्ष दो हजार पाँच में पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर देने के लिए एक संशोधन करके अधिकार देने के लिए कानून बनाए गए हैं। अधिकार वास्तव में दिया गया है कि यह कानून उन्नीस सौ छप्पन में दावे के प्रावधानों के लिए बनाया गया था और इस कानून के अनुसार संपत्ति पर अधिकार बेटी का पिता की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना एक बेटी का था। ऐसा हुआ करता था कि भारतीय संसद ने वर्ष दो हजार पाँच में, बेटियों के अधिकारों की पुष्टि करते हुए, पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकार के बारे में किसी भी संदेश को समाप्त करने के लिए अधिकार अधिनियम में संशोधन किया। कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि पिता की संपत्ति में बेटियों को अधिकार नहीं मिलता है, ऐसा तब होता है जब पिता अपने बेटे को अपनी अचल संपत्ति का मालिक बनाता है और पिता की मृत्यु हो जाती है। वह केवल अपने बेटों को उस संपत्ति का मालिक बना सकता है जिसे वह खरीदता है, जो उनके पूर्वजों की भूमि है, और उनके सभी बच्चे उस अधिकार के हकदार हैं। यह भी दिया जाना चाहिए कि आज के समय में जो महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगी, तभी यह संभव हो पाएगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भूमि अधिकारों से वंचित महिलाएं कृषि उत्पादन और संपत्ति प्रबंधन में पीछे रह जाती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। यह अक्सर आर्थिक कठिनाइयों का कारण बनता है। महिलाओं को गरीबी और निर्भरता का सामना करना पड़ता है, जैसे कि भूमि अधिकारों की कमी जो उन्हें अपनी आय और धन पर नियंत्रण रखने से रोकती है, जो उन्हें वित्तीय निर्णयों में भाग लेने से रोकती है। सुरक्षा की कमी, जैसे कि भूमि अधिकारों की कमी महिलाओं की सामाजिक स्थिति कमजोर हो जाती है जिससे वे घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं। कृषि उत्पादकता भूमि अधिकारों के बिना, महिलाएं आधुनिक कृषि तकनीकों और संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं जो उन्हें असुरक्षित बनाती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता एक ऐसा मुद्दा है जो समाज के हर क्षेत्र में प्रचलित है और यह आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए एक संघर्ष बनता जा रहा है। इस संघर्ष के कई पहलू और कारण हो सकते हैं। शिक्षा में असमानता, लड़कियों को अक्सर लड़कों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं। कई स्थानों पर लड़कियों की शिक्षा को कम आंका जाता है, जिससे उनके करियर और जीवन में प्रगति करने की संभावना कम हो जाती है। रोजगार के अवसर महिलाओं को समान योग्यता के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है। घरेलू काम का बोझ ऐसा है कि महिलाओं को परिवार और घर के काम की मुख्य जिम्मेदारी लेनी पड़ती है जिससे वे अपना करियर नहीं दे पाती हैं। व्यक्तिगत विकास पर ध्यान देने की कमी है जैसे कि स्वास्थ्य सेवा में, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में महिलाओं की पहुंच में भेदभाव हो सकता है, जो उनकी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अनुराधा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि भीड़ दुर्घटनाओं का रूप ले लेती है। भीड़ प्रबंधन में कमी सुरक्षाकर्मियों की कमी खराब साइट डिजाइन या लेआउट खराब आपातकालीन तैयारी भीड़ के आकार और घनत्व की निगरानी में कमी सुरक्षा बल भीड़ नियंत्रण का उल्लंघन भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता संचार की कमी यातायात प्रबंधन की कमी भीड़ सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की कमी भी इन कमियों का एक कारण हो सकती है। भीड़ दुर्घटनाएँ हो सकती हैं जो जीवन और संपत्ति के नुकसान का कारण बन सकती हैं इसलिए सुरक्षा के प्रति सचेत रहना और भीड़ प्रशासनिक लापरवाही को रोकने के लिए सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ढोंगी बाबाओं पर अंधविश्वास एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो समाज के विकास में बाधा डालती है। ये बाबा धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर भोले -भाले लोगों को ठगते हैं, उनका दावा है कि वे चमत्कारी शक्तियों में किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। चाहे वह स्वास्थ्य या व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हो । लोग इन बाबाओं के पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर देते हैं, हालांकि इनमें से अधिकांश बाबा अपनी निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों का शोषण करते हैं। अन्धविश्वास का यह जाल गरीब व् अशिक्षित लोगों पर विशेष रूप से प्रभाव डालता है

उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना चाहिए। परंपरागत रूप से भारतीय समाज में भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास रहा है, लेकिन आधुनिक समय में लोगों की सोच बदल रही है। कई लोगों का मानना है कि महिलाओं को जमीन का अधिकार मिलना चाहिए। इससे न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और सुरक्षा भी मिलेगी। इस तरह के अधिकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं ताकि वे परिवार और समाज में अपनी भूमिका निभा सकें। इसके विपरीत, कुछ लोग अभी भी पारंपरिक सच्ची सोच के कारण इस परिवर्तन का विरोध करते हैं, उनका मानना है कि इस सोच के पीछे सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास मुख्य कारण हैं कि भूमि का स्वामित्व केवल पुरुषों के पास ही रहना चाहिए।