धनियां एक ऐसी चीज है, जिसके बिना आपकी सब्जी का स्वाद अधूरा सा रहता है। धनियां की खुश्बू सब्जी में एक अलग ही तरह का स्वाद और मजा डालती है। धनिएं को दो तरह से इस्तेमाल किया जाता है। एक है हरा धनिया जो कि पत्तियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सब्जियों को गार्निश करने और चटनी वगैरह में डाली जाती है। वहीं धनिया के बीजों का इस्तेमाल सब्जी में मसाले के दौर पर होता है. तमाम सब्जियों में इसे पीसकर पाउडर के रूप में डाला जाता है। वहीं कुछ सब्जियों और अंचार आदि बनाने में धनिया के बीज को साबुत मसाले के तौर पर भी यूज किया जाता है। दोनों ही तरह से धनिया सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन आज यहां हम आपको बताएंगे धनिया के बीज के पानी के बारे में, इस पानी में औषधीय गुण होते हैं जो शरीर की तमाम समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की भारत जैसे देश में जहां कृषि समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, भूमि का स्वामित्व महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। महिलाओं को भूमि का अधिकार होने से उन्हें सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है यह न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि जब मैं ऐसा करता हूं तो उन्हें निर्णय लेने की प्रेरणा भी देता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्धचन्दारी त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत देश की आबादी 145 करोड़ हो गई है, आंकड़े बताते हैं कि आज आबादी के मामले में हम दुनियां का नंबर वन देश बन चुके हैं। शायद यही वजह है कि छोटे बड़े कस्बों से लगायत बड़े शहरों और महानगरों में सड़क पर चलते हुए या किसी भी सामाजिक आयोजन में लोगों की बेइंतहा भीड़ हो जाती है। अपने देश में भीड़ का बढ़ना इतना सामान्य हो चुका है, कि अब हमें इस भीड़ की आदत सी हो चुकी है। आज यही भीड़ कई तरह की समस्याओं को भी जन्म दे रही है। दुर्घटनाएं चाहे सड़क पर हो रेल मार्ग पर हों या फिर किसी बाबा के प्रवचन कथा सत्संग में या किसी जलसे में, भीड़ को रोकने में कई बार प्रशासन भी अपने हाथ खड़े कर लेता है। यह भी सच है कि जहां भीड़ अधिक होती है वहां सभी नियम और कायदे कानून बेमानी हो जाते हैं। ऐसे में किसी बड़े हादसे का हो जाना एक सामान्य सी घटना बन जाती है। पिछले दिनों यूपी के हांथरस में एक तथाकथित बाबा के प्रवचन के बाद हुए हादसे में 121 लोगों की मौत की दु:खद घटना अब एक पुरानी खबर बनाकर रह गई है। बारिश का मौसम है,बाढ़ भूस्खलन जल भराव पानी के तेज बहाव में भी देश में लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। भीड़ के कारण गरीबी भुखमरी बेरोजगारी जैसी बेशुमार समस्याएं हैं, जिनका हल ढूंढने के लिए यही भीड़ बाबाओं और पीर फकीरों के दरबार में हाजिरी लगाने और राहत पाने के लिए पहुंचती है। जहां भीड़ को संतोष और अभाव में ही सच्चा सुख है, कम खाएंगे सुखी रहेंगे, आसमान के नीचे पेड़ों के नीचे रहेंगे तो प्रकृति की गोद में रहेंगे, कपड़े कम पहनें चमक दमक और भौतिक सुख सुविधाओं से दूर ही रहें, धूप धूल धुआ बारिश सभी मौसम इस प्रकृति और विधाता ने बनाए हैं, वही सबका रखवाला है, पालनहार है, वही करने कराने वाला है, वही जीवित रखने वाला है, इस प्रकार के उपदेश देकर, प्रशासन और शासन सत्ता को उनकी जिम्मेदारियां से मुक्ति दिलाने वाले इन बाबाओ और पीर फकीरों की शरण में शासन सत्ता भी आ जाती है। अभावग्रस्त आबादी को जीवन के लिए जरूरी आवश्यक सुविधाएं न दे पाने में फेल प्रशासनिक तंत्र चाहता ही है कि लोग अपने हक की आवाज ना उठाएं। पर्याप्त संसाधनों के अभाव में रोज मर रहे लोगों को बचाने का इंतजाम संभवत शासन सत्ता के हाथों में भी नहीं है, और यही वजह है की भीड़ और दुर्घटनाएं आज हमारी और इस देश की नियति बन चुके हैं।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजकिशोरी सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला होने के लिए यह कभी भी अच्छा समय नहीं रहा है। महिलाएं पूरे इतिहास में कमजोर लिंग रही हैं, घर पर जंजीरों से बंधी हुई हैं, समाज में अधिकारों से वंचित हैं, और कार्यस्थल पर लैंगिक असमानता के अधीन हैं। हालाँकि अधिकारों और प्रथाओं में असमानता अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है, लेकिन अपने अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण महिलाएं आज बेहतर स्थिति में हैं। पीड़ा और आक्रोश व्यक्त करने के लिए वैश्विक मंचों और सोशल मीडिया की उपलब्धता सक्रिय सरकारें उन्हें सशक्त बनाने के लिए कानून में बदलाव और लैंगिक कानून बनाएंगी सभी महिलाओं को सुनने और महत्व देने के लिए एक साथ आए हैं, फिर भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां उन्हें सशक्त बनाने के लिए कुछ किया जा सकता है .
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांक्षा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हाथरस में सतसंग की तैयारी से लेकर दुर्घटना के बाद तक लापरवाही बरती गई। कैसे बढ़ती लापरवाही सतसंग की तैयारी से लेकर आपदा के बाद तक हर कदम पर पहुंच गई, इतनी भीड़ मौत का सतसंग बन गई। जब तक व्यवस्था लापरवाह नहीं रही, तब तक न तो कोई समन्वय था और न ही कार्यक्रम में भीड़ के अनुमान के बारे में कोई सटीक जानकारी थी। घटना के बाद बीस हजार की भीड़ का शोर मच गया और जब तक मुकदमा दायर किया गया, तब तक यह आंकड़ा ढाई लाख तक पहुंच गया।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से आकांक्षा श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की पैतृक संपत्ति पर भी महिलाओं का अधिकार होना चाहिए। भारत में महिलाओं का भूमि और संपत्ति का अधिकार केवल कानूनी अवमानना का सवाल नहीं है, बल्कि सामाजिक जड़ता में निहित है जिसे आज के आधुनिक भारत में नैतिक आधार पर चुनौती दी जानी चाहिए। भारत के चुनिंदा देशों में, जहां संवैधानिक प्रतिबद्धता और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, महिलाओं की आधी आबादी अभी भी जमीनी स्तर पर अपनी जड़ों की लगातार तलाश में है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अर्जुन त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वैश्विक स्तर पर देखें तो लैंगिक असमानता के 10 प्रमुख कारण बताए गए हैं जो की देश काल और परिस्थितियों के हिसाब से पूरी दुनिया के विभिन्न देशों और राज्यों में अलग अलग हैं। पहला है शिक्षा के क्षेत्र में असमान पहुंच,दूसरा रोजगार में समानता का अभाव,तीसरा नौकरियों में बंटवारा,चौथा कानूनी सुरक्षा और अधिकारों में अंतर,पांचवा शारीरिक स्वायत्तता का अभाव,छठवां खराब चिकित्सा और देखभाल,सातवां धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव,अठवा नस्लवाद और रंगभेद,नवां सामाजिक मानसिकता,दसवां राजनैतिक प्रतिनिधित्व का अभाव ,इनके अलावा आपसी विद्वेष आगे बढ़ने वाले अपने ही वर्ग के दूसरे को आगे नहीं आने देना चाहते हैं।प्रमुख कारणों में से एक महिलाओं में उनके अधिकारों और समानता प्राप्त करने की उनकी क्षमता के बारे में जागरूकता की कमी है। जागरूकता की यह कमी अक्सर प्रचलित सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों के कारण होती है, जो यह तय करते हैं कि महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना चाहिए।हालाकि भारत में इस दिशा में तेजी से बदलाव शुरू हो गया है लेकिन इसकी गति आज भी बहुत ही धीमी है। निश्चय ही लैंगिक असमानता सामाजिक आर्थिक और राष्ट्रीय विकास में बहुत बड़ी बाधा है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से तारकेश्वरी श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि ढोंगी बाबा, अंधविश्वास एक गंभीर समस्या है, लोग अक्सर इन बाबाओं के चमत्कारी दावों और कथित शक्तियों में विश्वास करते हैं। यह अंधविश्वास मुख्य रूप से शिक्षा की कमी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी के कारण है जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से राहत देने का वादा करता है। कई बार लोग अपने जीवन की समस्याओं का त्वरित समाधान ढूंढते हैं। ढोंगी बाबा अज़सार लोगों को भ्रमित करने और धन प्राप्त करने के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीकों का उपयोग करते हैं और कभी-कभी उनसे सम्मान भी प्राप्त करते हैं। उनका प्रभाव इतना अधिक है कि लोग तार्किक और अलग तरह से सोचते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से ताराकेश्वरी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पारंपरिक समाजों में, भूमि स्वामित्व को पुरुषों का अधिकार माना जाता है और महिलाओं को भूमि की विरासत से वंचित किया जाता है। यह लैंगिक भेदभाव न केवल महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को बाधित करता है बल्कि सामाजिक स्थिति को भी बाधित करता है। कानूनी प्रावधान और विरासत और भूमि अधिकारों के मामले में उनकी प्रभावशीलता भी एक बड़ी चुनौती है, कई देशों में भले ही कानून महिलाओं को भूमि पर अधिकार देता है लेकिन इन कानूनों को सही तरीके से लागू नहीं किया जाता है। स्थानीय परंपराएं और जाति व्यवस्था भी महिलाओं के भूमि अधिकारों में बाधा डालती है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से राजेश्वरी सिंह गोरखपुर मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की हाथरस की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब व्यवस्था अपर्याप्त होती है और उम्मीद से ज्यादा लोग होते हैं तो उनके और भीड़ के बीच अच्छा तालमेल नहीं होता है। आयोजकों को जवाबदेह ठहराने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित भीड़ व्यवहार के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि ऐसी दुर्घटनाएं फिर से न हों।