उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि महिलाएं डर से मुक्त हों तभी वे अपने समाज में एक पहचान और अस्तित्व बना सकती हैं। समाज और परिवार को महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए और दोषियों के मन में भय होना चाहिए। स्वतंत्र न हो पाने के इस डर के कारण महिलाओं का जीवन अभी भी हमारे परिवार और समाज में बहुत अलग है।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि   एक गतिशील महिला के रूप में उनके अस्तित्व को बहू, बेटी, मां, भाबी, चाची, मौसी जैसी सामाजिक धारणाओं में कैद किया गया है। पुरुष और महिला के बीच तुलना के आधार पर बनाई गई जैविक स्थिति के आधार पर वह जिस आत्म की तलाश कर रही है, उसका स्वतंत्र अस्तित्व न तो संभव है और न ही वैचारिक।

भारतीय समाज में महिलाएँ अभी भी पुरुषों से बहुत पीछे हैं। महिलाओं को अभी भी कमजोर वर्गों में शामिल किया गया है, महिलाएं परिवार की नींव हैं और समाज के कुछ ऐसे संप्रदायों से सामाजिक विकास संभव है जिनकी महिलाओं को तिरस्कार का सामना करना पड़ता है।महिलाओं के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं जो उन पर सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, शैक्षिक, व्यावसायिक और कई अन्य जिम्मेदारियां थोपी जाती हैं। जिनके कारण वे जीवन में आगे बढ़ती हैं। उनके पास अपने व्यक्तित्व को ठीक से विकसित करने और विकसित करने का अवसर नहीं है।

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