उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रेशमा प्रजापति से साक्षात्कार लिया। रेशमा प्रजापति ने बताया कि बेटियों को मायके के सम्पत्ति में हिस्सा नही मिलना चाहिए। ससुराल में उनका हिस्सा होता है ,यदि भाई नही है तो उनका सेवा कर के सभी बहन हिस्सा ले सकती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रवि कुमार से साक्षात्कार लिया।रवि कुमार ने बताया कि महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार देना चाहिए। लेकिन ऐसा होने से भाई - बहन के रिश्ते में दरार आ सकता है। मायके में महिला का भाई नही है तो इस परिस्थिति में निश्चित रूप से महिला को सम्पत्ति का अधिकार मिलना चाहिए। इस कानून से लाभ भी है और हानि भी है

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अंजलि से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं को शादी से पहले मायके में अधिकार नहीं दिया जाता है शादी होने के बाद महिलाओं का अधिकार ससुराल में होता है। यदि मायके में भाई ना हो तो माँ बाप की सेवा करने के लिए बेटियों को मायके में अधिकार दिया जा सकता है

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से के. सी. चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पशुपत गिरी से बात किया, उन्होंने बताया की अगर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलेगा और ससुराल में भी हिस्सा मिलेगा। तो फिर भाई के साथ ऐसा नई होगा उसे उसके ससुराल में हिस्सा नहीं मिलेगा, इस हिसाब से महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देना उचित नहीं है। इससे भाई बहन के रिश्ते में दरार आ सकती है

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से अलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोई भी औरत की मांग को उठा सकता है मगर मांग को पूरा नही कर सकता है। मांग का मतलब एक सिंदूर होता है। दूल्हा अपनी दुल्हन का माँग सिंदूर से भर सकता है और दूल्हा साथ जीवन भर रहने का वादा करता है। लेकिन जब महिला शादी के बाद वास्तविक जीवन में आती है, तो कोई भी पुरुष उसकी मांग को पूरा नही कर सकता। क्योंकि जीवन में कुछ न कुछ समस्याएं हमेशा लगी रहती है।समाज का सामना करना पड़ता है। जहां लालची औरत की मांगों को कोई पूरा नही कर सकता है।वहीं गृहणी औरतों की मांग पूरी की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पलपाती से साक्षात्कार लिया। पलपाती ने बताया कि पैतृक सम्पत्ति में बेटियों का भी हिस्सा होता है लेकिन वहीं पर ये लागू होता है जहां पर बेटे ना हों। बेटी तलाकशुदा ,विधवा या अविवाहित हो तब पिता की सम्पत्ति में वो हिस्सा ले सकती हैं। विवाहित बेटी को हिस्सा नही मिलना चाहिए। कानून ने अधिकार दिया है मगर, अपना अधिकार लेने बेटी जाएगी तो सम्बन्ध ख़राब हो जाएगा और वो बहन -बेटी ना हो कर पटीदार हो जाएगी।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सुमित्रा कन्नौजिया से साक्षात्कार लिया। सुमित्रा कन्नौजिया ने बताया कि विवाहित बेटी को मायके के सम्पत्ति में हिस्सा नही मिलता है,उनका हिस्सा ससुराल में होना चाहिए। मायके मे हिस्सा तभी मिलता है जब भाई नही होता है

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सरोज गुप्ता से साक्षात्कार लिया। सरोज गुप्ता ने बताया कि महिलाओं को पिता की सम्पत्ति में हक़ नही मिलना चाहिए। शादी के बाद ससुराल में तो हक़ मिलता ही है। यदि मायके में बेटी को हिस्सा देंगे तो भाई - भाभी के साथ रिश्तों में खटास आ जाता है। भाई नही हो तब लड़की को हिस्सा मिल सकता है

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से नूतन उपाध्याय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पूनम से साक्षात्कार लिया। पूनम ने बताया कि महिलाओं को पिता की सम्पत्ति में हक़ मिलना चाहिए। क्योंकि पिता की सम्पत्ति में जितना बेटों को हक़ है उतना ही हक़ बेटियों को भी है। बेटियों को शिक्षित करना बहुत जरुरी है,ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। समाज में ज्यातर लोग बेटिओं की शिक्षा पर ध्यान नही देते हैं

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से रविन्द्रजी से बातचीत की।बातचीत में उन्होंने बताया की महिलाओं को अधिकार देना ठीक है, लेकिन सरकार इस समय जो अधिकार दे रही है की उन्हें पिता की संपत्ति में हिस्सा देना है, ये एक तरह से यह सही नहीं होगा। इससे भाई-बहनों के बीच संबंधों में थोड़ी खटास आएगी। क्योंकि संपत्ति में हिस्सा लेने के बाद लोग इसके मालिक बन जाएंगे, लोग एक पाटिदार की तरह सोचने लगेंगे और एक बहन की तरह देखन नहीं चाहेंगे। दहेज़ एक पुराणी प्रथा बन के रह गई है, ये भी ठीक नहीं है फिर भी लोग इसपर पैस खर्च करते है। एक पिता अपना पैसा बेटी के पढाई और शादी में खर्च करता है। इस लिहाज़ से देखा जाये तो भी संपत्ति में हिस्सा देना उचित नहीं है। क्युकी जहाँ वो जाती है वह उनको हिस्सा मिलता ही है