सिवान में डाटा एंट्री ऑपरेटरों के हड़ताल पर जाने के बाद सदर अस्पताल में मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यालय में कार्यरत डाटा एंट्री ओपरेटर का एक बार फिर से एमएस ऑफिस की परीक्षा ली जानी है। इसका सभी विरोध कर रहे हैं। सदर अस्पताल के सिविल सर्जन अनिल कुमार भट्ट को पत्र लिखकर परीक्षा को रद्द करने की मांग भी किया है। इन सभी के हड़ताल पर चले जाने के बाद सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा काफी बाधित है। इनके हड़ताल पर जाने के बाद सदर अस्पताल में मरीजों को पर्ची कटाने, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने आदि में काफी परेशानी हो रही है। सभी काउन्टर पर भी काफी लंबा जाम कतार लग रहा है । आरटीपीसीआर लैब, गैर संचारी रोग पदाधिकारी कार्यालय, ब्लड बैंक, सदर अस्पताल कार्यालय, एसएनसीयू , आपातकालीन रजिस्ट्रेशन, दवा वितरण काउंटर सहित कई विभाग का कार्य बाधित है। सदर अस्पताल में करीब 125 डाटा एंट्री ओपरेटरों का काम करते हैं। सभी का दक्षता परीक्षा लिया जाना है।

सिवान जिले के मैरवा नगर के सफाई कर्मियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रहा। बुधवार को नगर के सफाई कर्मियों ने नगर पंचायत कार्यालय के मुख्य गेट पर कचड़ा रख कर तालाबंदी कर दिया। जिसको लेकर नगर पंचायत कार्यालय के सभी कामकाज प्रभावित रहा। इधर नगर पंचायत के कर्मियों ने कार्यालय के पास पहुंचा तो देखा कि कचड़े से बदबू आने पर लौट कर चले गये। वही आस पास के लोगो काफी परेशान दिखे। सफाई कर्मियों ने कहा कि इस बार की लड़ाई आर पार की है। नगर पंचायत में सफाई कर्मियों का संख्या बल कम होने के बावजूद भी नगर को स्वच्छ रखने में जान लगा देते है। उसके बावजूद भी नगर प्रसाशन हमारी वर्षो की मांग को आजतक पूरा नही किया। इधर चेयरमैन किसमती देवी ने कहा कि सफाई कर्मियों का 6 में से पांच मांगो को मान लिया गया है। एक मांग को लेकर सफाई कर्मियों से वार्ता हो रही है। जल्द ही हडताल को खत्म हो जायेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सफाई कर्मियों का ईपीएफ खाता खोलवा दिया गया है। कई सफाई कर्मियों का फिंगरप्रिंट नही आने से खाता नही खुल रहा है। सुरक्षा किट, ड्रेस कोड, मानदेय में वृद्धि, सीएल की छुट्टी जल्द ही लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने सफाई कर्मियों से काम पर लौटने की अपील की है।

बिहार के सिवान जिला से अंबे कुमारी की रिपोर्ट: आउटसोर्सिंग पर बहाल सिवान जिले भर के डाटा एंट्री ऑपरेटर मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. टंकन जांच और दक्षता परीक्षा लेने के विरोध में दर्जनों डाटा एंट्री ऑपरेटरो ने कार्य का बहिष्कार करते हुए हड़ताल का आह्वान किया है. हड़ताल से जिला मुख्यालय और प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य महकमे का कागजी कामकाज ठप है.ऑपरेटर ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से विभिन्न एजेंसी के साथ काम करते आ रहे हैं । जब भी एजेंसी बदलती है । टंकन और दक्षता परीक्षा ली जाती है और टेस्ट के नाम पर मोटी रकम की उगाही की जाती है । एक साल पूर्व ही उनकी बहाली उर्मिला एजेंसी के जरिए की गई है । 28 फरवरी को कंपनी के मेल के जरिए जानकारी मिली कि 26 मार्च को उनके सेवा की तिथि समाप्त हो रही है । अवधि विस्तार के लिए उन्हें हिन्दी और अंग्रेजी टंकन के साथ ही दक्षता देनी होगी । जबकि जब से उनकी बहाली हुई है उनका वेतन ससमय उनके खाते में नहीं आया. इतना ही नहीं सैलरी भी आधे ही हमारे खाते में आती है 26000 के जगह ₹13000 ही हम लोगों को प्राप्त होते हैं जिसके चलते आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती रही है.

बिहार के सिवान जिला से मैरवा की रिपोर्ट: बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी संघ के तत्वाधान में मैरवा नगर के सफाई कर्मियों सहित स्थायी कर्मियों ने 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चिकालीन हड़ताल किया है। नगर पंचायत कार्यालय पर दर्जनो की संख्या में सफाई कर्मियों ने अपनी मांगो को लेकर आवाज को बुलंद किया है। वही सफाई कर्मियों की मांग पर भाकपा माले और वार्ड पार्षद ने जायज बताकर समर्थन किया है। संघ के राज्य सचिव अमित कुमार गोंड ने कहा कि सफाई कर्मियों ने दिन रात एक करके नगर की सफाई व्यवस्था कर रहे है। उसके बाद भी उनकी मांगों को पूरा नही किया जा रहा है। अगर हमारी मांगे पूरी नही होती है तो हमलोग नगर के प्रत्येक वार्डों में जा जाकर जनता के बीच सफाई कर्मियों की मांग को रखेंगे। माले नेता उपेन्द्र साह ने कहा कि नगर की सफाई के लिए कम से कम 60 लोग को रहना चाहिए लेकिन 30 कर्मचारी ही सफाई का कार्य कर रहे है। प्रत्येक वर्ष सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च होता है। लेकिन कर्मचारियों को देने के लिए नगर प्रसाशन आनाकानी करती है। मजदूरों की मांगों में बकाया ईपीएफ का पैसा तत्काल खाते में भेजा जाये, सुरक्षा किट, ड्रेस कोड, सीएल की छुट्टी, मानदेय में वृद्धि, जो सफाई कर्मी जहां है। उनको छेड़छाड़ नही किया जाये सहित अन्य मांग शामिल है। मौके पर जीशू अंसारी, बड़ू सिंह, ओसिहार यादव, दीपक बासफोर, ललन बासफोर, सुभाष बासफोर, जितेंद्र बासफोर, वेदांती देवी, मंथरा देवी, रिंकू देवी, बबली देवी, शोभा देवी, नीला देवी सहित दर्जनों कर्मचारी मौजूद थे।

CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

बिहार के सिवान जिला के रघुनाथपुर की रिपोर्ट: रघुनाथपुर में किसान कांग्रेस प्रदेश महासचिव अजीत उपाध्याय ने कहा कि किसानों की उचित मांगों को सरकार को मान लेना चाहिए उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर किसान कई दिनों से आंदोलन पर हिंदी से प्रतिदिन काफी नुकसान हो रहा है इसलिए सरकार को चाहिए कि उनके उचित मांगों को मांग लिया जाए

देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

बिहार के सिवान जिला से अजय कुमार की रिपोर्ट: शहर मुख्यालय सहित सभी प्रखंड मुख्यालयों पर भाजपा वाले द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के नीतियों के विरुद्ध खिलाफ विरोध में से निकल गया

संयुक्त किसान मोर्चा एवं संयुक्त मजदूर ट्रेड यूनियन के आह्वान पर आज ग्रामीण भारत बंद किया गया है. इस आलोक में दरौली भाकपा माले कार्यालय से मुख्यालय तक किसान मजदूर का संयुक्त मार्च निकाल सरकार की मज़दूर - किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आक्रोशित नारेबाज़ी के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया. मौके पर खेग्रामस के जिला सचिव शिवनाथ राम ने कहा कि किसनेों मजदूरों का 13 महीना दिल्ली में चला आंदोलन एवं उसमें किसनो के साथ मोदी सरकार समझौते किया अब किसनों का कहना हैं की सरकार वादा खिलाफी कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा एवं संयुक्त मजदूर यूनियन स्कीम वर्क्सस सभी लोग सांझा मोर्चा के माध्यम से पूरे देश में आंदोलन खड़ा हुआ है। यह इतिहासिक आंदोलन है। इस आंदोलन से जो सवाल है इस सवाल को हल करना होगा या सत्ता से जाना होगा। फैसला मोदी सरकार को करना है। वहीं मार्च के माध्यम से सभी मज़दूरों को न्यूनतम वेतन 26 हज़ार एवं 10 हज़ार रूपये मासिक पेंशन देने, पेट्रोल- डीज़ल एवं अन्य दैनिक उपयोगी वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतों पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, जीवनदायिनी दवाईयों एवं चिकित्सा उपकरणों पर लगाई गई 18 प्रतिशत जीएसटी हटाते हुए बेहतरीन एवं किफ़ायती चिकित्सा व्यवस्था करने जैसी उनकी मांगे शामिल हैं।मौके लालबहादुर कुशवाहा, बचा भगत,जगजीतन शर्मा,कृष्णकुमार पांडये,आनंद बिहारी साहनी, रामछबीला कुशवाहा,वीरेंद्र राजभर,इंदल कुमार, केदार पंडित, श्रीराम बैठा,भान जी राम,अली अहमद,आदि लोग रहे।

बिहार के सिवान जिला की रिपोर्ट: किसान संजय कुमार जी ने बताया कि आज किसानों को उनका हक नही मिल रहा है।इस लिए अगर वो आंदोलन कर रहे है।तो ये ठीक है।सरकार को उनकी बाते सुनना चाहिए।