सीएम योगी ने जल जीवन मिशन की समीक्षा की दो करोड़ और बारह लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल मिलना शुरू हो गया है मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा कि हर घर के नल से पानी मोदी की गारंटी है। उन्होंने विंध बुंदेलखंड नमस्कार श्रोताओं के लिए विशेष व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें आप चित्रपोर्ट मोबाइल वाणी सुन रहे हैं और आपके साथ मैं कविता हूं। एक उच्च स्तरीय बैठक में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हर घर नल हर घर जल के संकल्प के साथ राज्य का दो दसवां हिस्सा 65 मिलियन ग्रामीण घरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक विशाल अभियान चलाया जा रहा है। जल जीवन मिशन के शुभारंभ से पहले, केवल 5.16 लाख घरों में नल के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध था।

नमामि गंगे के सचिव ने जानी जल जीवन मिशन की हकीकत बताया कि जल जीवन मिशन भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है। सरकार ने प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए अधिकांश ग्राम पंचायतों में पानी की टंकी का निर्माण किया है। काम चल रहा है नमस्कार श्रोताओं, आप चित्रपोर्ट मोबाइल वाणी सुन रहे हैं और आपके साथ मैं कविता हूँ। आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान। अधिकांश ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जहां काम लंबित है। वहाँ गुणवत्ता। जल्द से जल्द काम पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। नमामि गंगे के सचिव राज शेखर पानी की टंकी के निर्माण कार्य की वास्तविकता जानने के लिए शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे ग्राम सभा पहुंचे। गुणवत्ता के साथ काम को जल्दी पूरा करने के लिए कहने पर, बड़ी संख्या में ग्रामीण भी वी. आई. पी. कारों का लाभ देखने आए। इस दौरान विभागीय कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित थे।

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अरुण यादव है जो गाँव रायपुर, अज्ज, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश से है, मैं आपको चित्रकूट मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहता हूँ कि आज यहाँ राशन बांटा जा रहा है। लेकिन राशन के वितरण में पहले दोस्त ने पाया है कि कुछ लोगों को बिना उंगली रखे राशन दिया गया था और कुछ लोगों को उस पर उंगली रखने पर राशन दिया जा रहा है। इस चैनल के माध्यम से मैं आप सभी को सूचित करना चाहूंगा कि सरकार को यह बताया जाना चाहिए कि जैसे ही यह काम होता है, जनता के साथ-साथ आधे लोगों को उंगलियों से राशन दिया जाता है, आधे लोगों को सिर्फ अपनी उंगलियां डाल कर राशन दिया जाता है। मैं मोबाइल वाणी के स्टाफ से अनुरोध करूंगा कि वे सरकार से संपर्क करें और एक उचित जांच कराएं कि एक कर्मी के साथ धोखाधड़ी और अन्याय क्यों किया जा रहा है। जनता के बैठने के लिए किसी भी तरह की छाया नहीं है, उन्हें यहां धूप में खड़े होकर राशन मिलता है, इसलिए यहां इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द इसकी जांच करवाएं।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

नमस्कार दोस्तों, मोबाइल वाणी पर आपका स्वागत है। तेज़ रफ्तार वक्त और इस मशीनी युग में जब हर वस्तु और सेवा ऑनलाइन जा रही हो उस समय हमारे समाज के पारंपरिक सदस्य जैसे पिछड़ और कई बार बिछड़ जाते हैं। ये सदस्य हैं हमारे बढ़ई, मिस्त्री, शिल्पकार और कारीगर। जिन्हें आजकल जीवन यापन करने में बहुत परेशानी हो रही है। ऐसे में भारत सरकार इन नागरिकों के लिए एक अहम योजना लेकर आई है ताकि ये अपने हुनर को और तराश सकें, अपने काम के लिए इस्तेमाल होने वाले ज़रूरी सामान और औजार ले सकें। आज हम आपको भारत सरकार की विश्वकर्मा योजना के बारे में बताने जा रहे हैं। तो हमें बताइए कि आपको कैसी लगी ये योजना और क्या आप इसका लाभ उठाना चाहते हैं। मोबाइल वाणी पर आकर कहिए अगर आप इस बारे में कोई और जानकारी भी चाहते हैं। हम आपका मार्गदर्शन जरूर करेंगे। ऐसी ही और जानकारियों के लिए सुनते रहिए मोबाइल वाणी,

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