कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला चित्रकूट से अरुण यादव, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनका राशन कार्ड में नाम नहीं चढ़ाया गया है और पैसा भी लिया गया है।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अरुण यादव है जो गाँव रायपुर, अज्ज, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश से है, मैं आपको चित्रकूट मोबाइल वाणी के माध्यम से बताना चाहता हूँ कि आज यहाँ राशन बांटा जा रहा है। लेकिन राशन के वितरण में पहले दोस्त ने पाया है कि कुछ लोगों को बिना उंगली रखे राशन दिया गया था और कुछ लोगों को उस पर उंगली रखने पर राशन दिया जा रहा है। इस चैनल के माध्यम से मैं आप सभी को सूचित करना चाहूंगा कि सरकार को यह बताया जाना चाहिए कि जैसे ही यह काम होता है, जनता के साथ-साथ आधे लोगों को उंगलियों से राशन दिया जाता है, आधे लोगों को सिर्फ अपनी उंगलियां डाल कर राशन दिया जाता है। मैं मोबाइल वाणी के स्टाफ से अनुरोध करूंगा कि वे सरकार से संपर्क करें और एक उचित जांच कराएं कि एक कर्मी के साथ धोखाधड़ी और अन्याय क्यों किया जा रहा है। जनता के बैठने के लिए किसी भी तरह की छाया नहीं है, उन्हें यहां धूप में खड़े होकर राशन मिलता है, इसलिए यहां इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द इसकी जांच करवाएं।

हां दोस्तों, मेरा नाम उत्तर प्रदेश के गाँव रेपारा जीव चित्रकूट का अरुण यादव है, क्योंकि मैं चित्रकूट के बलवाड़ के माध्यम से आप सभी को सूचित करना चाहता हूँ कि हमारी गाँव रेत्रा पंचायत को तीन दिनों से जल निगम से पानी नहीं मिला है। इसे इस तरह से छोड़ दिया गया है कि यहां जल निगम द्वारा पानी नहीं छोड़े जाने से कई लोगों को परेशानी हो रही है और यहां मैं यह भी बताना चाहता हूं कि अगर यहां दूसरा पंप नहीं होता तो शायद पानी उपलब्ध नहीं होता।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

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तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।