उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कमलेश कुमार से बातचीत कर रहे है। कमलेश बताते है कि इन्होने मोबाइल वाणी के माध्यम से सुना की महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। इससे इन्हे प्रेरणा मिली ये अपने बेटा और बेटी में अंतर नहीं समझेंगे और ये सामान अधिकार दिलाने का प्रयास करेंगे

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से मोहम्मद इमरान,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि इन्होने महिलाओं के साथ बैठक की। जिसमे एक महिला आरती मौर्या ने बताया की इनके पति की मृत्यु हो गयी है लेकिन अब तक इन्होने पति की संपत्ति का वसीहत नहीं करवाया है। क्योंकि अभी बेटियां नाबालिग है,अगर उनके नाम से भूमि हो जाएगा और आगे शादी के बाद अगर दामाद हक़ की बात करे तो बेटा और बेटी में विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अंकुर वर्मा से हुई। अंकुर कहते है कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए। बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है। अब कानून भी बना है कि पैतृक संपत्ति में बेटी भी उत्तराधिकारी है। अभी बेटियाँ हर एक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में बेटियों को बराबरी का भागीदारी मिल रहा है। आजकल बेटियां अभिशाप नहीं है ,जितना बेटे काम करते है उससे कहीं अधिक बेटियां काम करती है। बाहर के काम के साथ घर के काम को भी बेटी संभालती है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव, मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत महिलाओं की स्थिति फगुनिया और रूपवती की तरह ही है।पुरानी परंपरा और छोटी सोच अभी भी लोगों में व्याप्त है। महिलाओं को अगर जमीन का अधिकार दे भी दिया जाए तब भी महिला अपनी मालिकाना हक़ दिखाने में असक्ष्म रहती है क्योंकि वो अपने अनुसार उस जमीन पर कार्य नहीं कर पाती है। कानून के अनुसार महिलाओं के नाम जमीन रजिस्ट्री करने का प्रावधान है लेकिन पुरुष प्रधान देश इस पर यह नहीं सोचते है की इससे महिला का विकास होता है और वो सशक्त होती है । महिला के पास अधिकार रहने के बावजूद महिला अपनी आवश्यकता अनुसार उस जमीन पर बिना प्रधान पुरुष से पूछे कार्य नहीं कर सकती है। इसका कारण अशिक्षा ही है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सोनू से हुई।सोनू कहते है कि बेटियों को अगर पैतृक संपत्ति हिस्सा दिया जाए तो बेटा ऐतराज़ करेंगे या नहीं यह बेटों की समझदारी के ऊपर है । अविवाहित बेटियों को जमीन देने में कोई बुराई नहीं है। जो बेटी सक्षम है ,उसके मन अनुसार जमीन में हिस्सा उन्हें मिल सकता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रदीप से हुई। प्रदीप कहते है कि बेटियों को अगर पैतृक संपत्ति हिस्सा दिया जाए तो बेटा ऐतराज़ करेंगे ,बेटों को इसको लेकर मनाना पड़ेगा । बेटा और बेटी एक सामान है तो ज़रूरी है कि बेटियों को जमीन में हिस्सा मिले। अविवाहित बेटियों की तो हिस्सेदारी है। बेटा और बेटी एक है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव से हुई।चंद्रप्रकाश कहते है कि बेटियों को अगर हिस्सा दिया जाए तो बेटा ऐतराज़ करेंगे ,जब तक कोई संविधान न बन जाए। कानून की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं है ,इसको लेकर एक टीम गठित कर प्रचार प्रसार करना चाहिए। महिलाएं कोई भी निर्णय लेने में असक्ष्म है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अंशुल से हुई। अंशुल कहते है कि महिलाएँ स्वरोजगार कर सकती है। गायपालन कर दूध बेच कर ,कंपनी में कार्य कर सकती है ,ब्यूटी पार्लर खोल सकती है ,सिलाई कर सकती है ,खेती बाड़ी कर सकती है ।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमज़ान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से नवीन कुमार से हुई। नवीन कहते है कि बेटियों पर खर्च बहुत होता है। सरकार को जिस तरह से बेटियों को लाभ देना चाहिए उस अनुसार वो कर नहीं रहे है। पिता की संपत्ति में बेटा और बेटी को सामान हक़ मिलना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राजकुमार से हुई। राजकुमार कहते है कि अगर ये अपनी संपत्ति में बेटी को हिस्सा देना चाहेंगे तो बेटा को ऐतराज़ नहीं होना चाहिए। आज के समय में बेटा ऐतराज़ करते ही है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। बेटी को हिस्सा मिलना चाहिए जिससे वो बूढ़े माता पिता की सेवा करे। बेटा और बेटी का संपत्ति में सामान अधिकार है। आज के युग में ज़रूरी है कि बहनों को संपत्ति में हिस्सा मिले। बाकि लोग भी अपनी संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार दें