उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि नागरिकता एक बहुत अधिक जटिल समस्या है, जो कि खानाबदोश परिवार जनजाति या प्रवासी मजदूर है। लोगों को वोट देने का अधिकार है लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इस प्रकार, यदि देखा जाए, तो भारत देश में बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं। और इस नागरिकता कानून को पारित करने के लिए कई लोगों ने पहले भी अपनी राय व्यक्त की है और सरकार से अपील की है, लेकिन ये मुद्दे चुनाव के समय उठाए जाते हैं। चुनाव के बाद उन्हें अपना हाल पर छोड़ दिया जाता है और न तो उन्हें कोई सरकारी सुविधा मिलती है और न ही उनके पास कोई पहचान पत्र होता है। यानी, क्योंकि उनकी कोई पहचान नहीं है, उन्हें वहीं रहना पड़ता है जहां वे मजदूरों या प्रवासियों के रूप में काम करते हैं, और उनकी बीमारी या मृत्यु के मामले में, उन्हें इस संबंध में सरकार से कोई सहायता प्रदान नहीं की जाती है, जो नागरिकता का कानून बनने के लिए आवश्यक है क्योंकि वह भी हम ही हैं। हमारे देश का एक हिस्सा है और अगर बड़ी संख्या में देखा जाए तो वे खुद समाज के विकास के काम में लगे हुए हैं और अपनी मजदूरी करके दिन-रात मेहनत करते हैं।