उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं और पुरुषों के बीच जो असमानता की खाई है वो अभी भी काफी गहरी है, जिसे भरने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना होगा, जो चुनौतियों से भरा होगा। भले ही हमने विकास के कितने ही पायदान चढ़ लिए हों लेकिन आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा नहीं मिला है।दुनिया में आज भी केवल काम करने योग्य आयु की केवल 61.8 फीसदी महिलाएं श्रम बल का हिस्सा हैं। यह आंकड़ा पिछले तीन दशकों में नहीं बदला है वहीं पुरुषों की बात करें तो 90 फीसदी काम कर रहे है। इतना ही नहीं पारिवारिक जिम्मेवारियां और बिना वेतन के घंटों किया जाने वाला काम उनके पुरुषों की तरह श्रम बल में शामिल होने की क्षमता को बाधित करता है।