उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलम पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जनसंख्या के साथ - साथ हमारे देश और हमारे समाज में घरेलू हिंसा भी बहुत तेजी से बढ़ रही है । घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है । इस सच को झुठलाया नहीं किया जा सकता है। आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हों,भारत में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है । घरेलू हिंसा कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण पुरुषों की शिक्षा और उनमे विद्यमान अनेक बुराइयाँ है। घरेलू हिंसा के शारीरिक,मानसिक,मौखिक,आर्थिक और यौन शोषण सहित विभिन्न रूप हो सकते हैं।इन में अनाचार , विवाह के बाद यौन संबंध और हिंसक शारीरिक शोषण शामिल हैं ।