उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि सामाजिक लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए कानूनी प्रयास भी किए जाते हैं, लेकिन उनका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। सरकार ने बहुत सारे कानून बनाए हैं लेकिन वे केवल कागज तक ही सीमित हैं क्योंकि जो कानून का पालन सुनिश्चित करता है वह भी मुख्य रूप से कुरुशी है लेकिन वे इस बात की अनुमति नहीं देते हैं। यही कारण है कि इन सभी सरकारी योजनाओं और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, भारत में महिलाओं को अभी भी दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में माना जाता है। पुरुषों के लिए, उन्हें केवल एक पारिवारिक जिम्मेदारी को पूरा करने के रूप में देखा जाता है। इसका एक कारण यह है कि ज्यादातर महिलाएं अशिक्षित हैं। महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जागरूक नहीं हो पाती हैं, भले ही वे जागरूक हो जाएं, उन्हें उनका लाभ उठाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है और यही कारण है कि महिलाएं कभी-कभी अपनी पहचान खुद बना नहीं बना पाती हैं। वह आश्रित महसूस नहीं करती है, वह अपमानित होने के बाद भी घर पर रहने में सक्षम है, अगर वह कोई काम करना चाहती है, तो उसे बड़ी नौकरी नहीं मिल सकती क्योंकि वह अशिक्षित है। अगर उन्हें काम मिलता है, तो उन्हें किसी के घर में बर्तन धोने या मजदूर के रूप में काम करने का यह सारा काम मिलता है और उन्हें इन नौकरियों के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन आय बहुत कम होती है। हमारे समाज में लड़कियों को अभी भी सबसे धनी माना जाता है और यह महिलाओं की शिक्षा के लिए बहुत चिंता का विषय है। वे चाहते हैं कि उनकी शादी आरामदायक रहे और पैसा खर्च न करें, उनकी शिक्षा में ज्यादा निवेश न करें, उनके दहेज का पैसा जोड़ा जाए, इसलिए अगर लड़कियां शिक्षित हैं, तो भी कम से कम नुकसान होता है। लोग अभी भी अपनी उन लड़कियों को नहीं पढ़ाते हैं जो अपनी वर्तमान प्रतियोगी परीक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती हैं, उन्हें लगता है कि यह बेहतर है कि हम उनकी शिक्षा पर इतना पैसा खर्च करें, चलो थोड़ा पैसा जोड़ते हैं और उनकी शादी करवा देते हैं, सर का बोझ दूर हो जाएगा, लेकिन यह बहुत गलत है। हमें अपनी लड़कियों को पढ़ाना चाहिए ताकि भविष्य में उन्हें कोई समस्या न हो।
उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से मीना चाची से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले के जमाने में लैंगिक भेदभाव बहुत होता था। लड़का लड़की में बहुत भेदभाव किया जाता था। उन्होंने बताया वे 35 साल पहले पढ़ी लिखी थी लेकन उन्हें काम नहीं करने दिया गया। पहले कहा जाता था कि बाहर कमाने जाएगी तो उनकी इज्जत घट जाएगी ,बाहर बैग टांगकर कर घूमने के लिए जाएगी। उन्हें शादी के बाद अपने ससुराल वालों की बात मानकर रहनी पड़ी। उन्होंने ब्यूटीशियन का भी कोर्स किया है लेकिन घर वालों के दबाव के कारण वे कुछ नहीं कर पायी। उनको दो बार जॉब भी लगा लेकिन ससुराल वालों के दबाव के कारण वे जॉब नहीं करने सकी। उनसे कहा जाता था कि वे जितना कमायेंगी उतना पैसा उन्हें घर पर ही दिया जाएगा। उनका कहना है अभी के ज़माने में जब तक पति पत्नी दोनों नहीं कमायेंगे घर नहीं चलेगा। इसलिए लड़का लड़की दोनों को पढ़ायें और भेदभाव नहीं करना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता अमर सिंह से बात किया, उन्होंने बताया की गाँवों में, शायद स्थिति अभी भी वैसी ही है। बहुत से असहाय लोग अभी भी अशिक्षित हैं, वे पहली बात लड़कियों को नहीं पढ़ाते हैं, वे कहते हैं कि वे पढ़ने क्या जाएँगी ,उन्हें तो चौका चूल्हा ही करना होगा। लेकिन अगर वे अपनी लड़कियों को पढ़ाते हैं, तो वे उससे बेहतर होंगे जो हम सोचते हैं कि पुरुष हैं।लड़किया जो है वो अपने काम को बहुत बेहतर ढंग से करती है और अनुशासन के साथ करती है। ग्रमीण क्षेत्रों में अब भी लोग पुराणी मानशिकता के साथ जीते है और लड़को और लड़कियों में अंतर करते है। ऐसे मानशिकता वाले लोगो को अपनी सोच बदलने की जरुरत है तभी समाज में लड़किया आगे बढ़ पाएंगी और समाज का विकास हो पायेगा।अभी के समय में लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है अपना पूरा योगदान दे रही है। देश में लैंगिक असमानता कम हो रही है और शिक्षा की बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। एक शिक्षित समाज में यह सब नहीं देखा जाता है। हम विदेशों की नकल करते हैं और देखते हैं कि लड़कियों के बीच कोई भेदभाव नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता मुकेश आनंद से बात किया, उन्होंने बताया की यह अच्छी बात है कि महिलाओं को भूमि अधिकार मिलनी चाहिए, उन्हें अपना अधिकार महसूस होना चाहिए और घर पर एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। जब मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो उन्होंने सकारात्मक पहल की थी, माताओं को भी अपने पिता की संपत्ति में अपना अधिकार मिलने लगा, यह एक बहुत ही सराहनीय कदम था।पिता की संपत्ति में माताओं का अधिकार मिलना शुरू हो गया । हमने देखा है कि कई बच्चे जो मां का सम्मान किए बिना लखैरा के पास जाते थे और माँ अपने खाने के लिए तरसती थी, लेकिन जब उन्हें अपना भूमि अधिकार मिल जाता है। महिलाएं भी अब अपने अधिकारों को जानने लगीं और उन्हें भी घर में परिवार में सर्वोच्चता का अधिकार मिला, वे अब भी सम्मानपूर्वक रहती हैं।अब ज्यादातर बैनामा महिलाओं के नाम से होता है और सरकार भी इस पर छूट दे रही है। तो सरकार के तरफ से भी यह एक सराहनीय कदम है
उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के पयागपुर से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की महिलाओं के लिए भूमि अधिकार बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अक्सर आपने हमारे देश में ऐसा देखा होगा, ऐसी महिलाएँ और पुरुष हैं जो अक्सर पढ़ने और लिखने के लिए शहरों में आते हैं। लेकिन कुछ माता-पिता में कुछ मजबूरी है जो अपने बच्चे को बाहर नहीं जाने देते क्योंकि इतनी महँगाई बढ़ गई है। हमारे देश में महिलाएं भी सोचती हैं कि हमें बाहर जाना चाहिए, परंतु हमारे देश में कुछ महिलाएं डर से बैठी हैं। अक्सर यह बहुत तेजी से हो रहा है कि महिलाएं डर से कुछ नहीं करती हैं,अगर वे ऐसा करते हैं तो घर के सदस्य भी उन पर दबाव डालते हैं लेकिन कुछ मजबूरियां हैं लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होना चाहिए ।
उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विकाश सिंह ने ब्लाक विशेश्वरगंज थाना पयागपुर तहसील पयागपुर जिला बहराइच के स्थानीय निवासी राम भवन से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उनका वोटर लिस्ट में नाम नहीं जुड़ रहा है ,जिससे वे परेशान है
उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विकाश सिंह ने ब्लॉक पयागपुर तहसील पयागपुर थाना पयागपुर जिला बहराइच के स्थानीय निवासी मालती पाठक से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्हें मालती पाठक को आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है
उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से माधुरी श्रीवास्तव ने ब्लॉक पयागपुर तहसील पयागपुर थाना पयागपुर जिला बहराइच के स्थानीय निवासी मालती पाठक से बातचीत की। उन्होंने बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना चाहिए। बेटों के समान ही बेटियों को पिता के संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए। बेटियां भी बेटों की तरह माँ -बाप की सेवा हमेशा करते हैं। इसलिए सम्पति पर बेटी -बेटा दोनों का समान अधिकार होना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला के पयागपुर से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की शादी के बाद पति के गुज़र जाने के बाद पत्नी का उसके संपत्ति पर पूरा अधिकार है। महिलाओं को अक्सर इस बात का डर रहता है की समाज उन्हें क्या कहेगा, यही कारण है की महिलायें घर से बाहर जाने से डरती है।