गाँव की सड़क बहुत खराब है

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला के ग्राम पंचायत अरनवा के गुडिंदुरा गाँव से सुभाष कुमार पासवान ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनके क्षेत्र में सड़क की बहुत सारी समस्याएं हैं जिनका सामना स्थानीय नागरिकों को करना पड़ रहा है। हर जगह गड्ढे हैं और उन गड्ढों में पानी भरे हुए हैं। आवागमन में काफी परेशानी होती है। तो इस समस्या का एक समाधान है और आज हमारे पास डेंगू मलेरिया चिकनगुनिया रोग की एक महामारी है।

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

आवास शौचालय और राशन कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है इसके बारे में जानकारी दी गई

Transcript Unavailable.