कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

हरयाणा राज्य के मेवात जिले के अहमद ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की गाँव में नल जल योजना के तहत पानी नहीं मिल रहा है जिसकी वजह से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। जैसा कि आप जानते हैं , जब गर्मी का समय होता है , तो गर्मी का समय अधिक होता है । जानवरों को खिलाने के लिए पानी का सेवन किया जाता है और घर के सभी काम करने के लिए नहाने के लिए पानी नहीं होता है । रमजान वह महीना है जिसके कारण नौकरियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । यहां के ग्रामीणों ने सरपंच साहब से मुलाकात की और आला के कुछ अधिकारियों से मुलाकात की , लेकिन उनसे मिलने के बाद उन्हें कोई समस्या नहीं हुई । और बार - बार अपील करने के बाद भी गाँव वालों की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ , जिसके बारे में गाँव वालों ने अपने गाँव के स्तर पर प्रदर्शन किया , लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं हुआ ।

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

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मैं अहमद पत्राकर ग्राम बीमा मित्रों , आपकी जानकारी के लिए , ग्राम बीमा में सीवरेज़ की कमी के कारण जलभराव की समस्या यह है कि ग्राम बीमा में सीवरेज़ नहीं है , जिसके कारण नालियों में पानी भर जाता है और जिससे ग्रामीणों को परेशानी होती है । साथियों , हमें रास्ते से हटने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा । जब हम गाँव दीवा के गणेश के पास से गुजरे , तो हमने बातचीत देखी और वहाँ मौजूद कुछ ग्रामीणों से बात की । उन्होंने हमें बताया कि इस गाँव की हालत खराब है । इस गांव में सीवर की व्यवस्था नहीं है । यह फिरोजपुर तहसील का सबसे बड़ा गाँव है । यह तीसरे स्थान पर आता है लेकिन फिर भी इसमें सीवरेज़ नहीं है , इसलिए इसमें लगभग आठ हजार वोट थे लेकिन सीवरेज़ नहीं होने के कारण बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।

हरयाणा ,मेवात ,मैं अहमद पत्रकार विलय बीमा मित्रों , गाँव के बीमा से एक बहुत बड़ी खबर आ रही है दोस्तों , नल जल योजना के तहत यहाँ जो नल लगाए जाते हैं , उन्हें लगभग दो महीने से पानी नहीं मिल रहा है , जिससे गाँव वालों को परेशानी हो रही है । साथियों , गाँवों में पानी की कमी के कारण गाँव के जानवरों को इस तरह बांधा जाता है और उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । मौसम भी खराब हो रहा है । पशुओं के लिए पानी नहीं है । पीने के लिए पानी नहीं है । गाँव की औरतें और गाँव के कुछ वर्तमान लोग भी गाँव के सरपंच सप्तकदत्त से मिले हैं , लेकिन फिर भी उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ है , और दोस्तों , उन्होंने संबंधित अधिकारियों से भी बात की है , लेकिन फिर भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है । कोई समाधान नहीं है दोस्तों हम ग्रामवाणी पर हमसे अपील करना चाहते हैं , उन्होंने हमसे बड़ी उम्मीद के साथ पूछा कि आप हमें खबर देंगे क्योंकि हमारा चैनल ग्रामीण क्षेत्रों में काम करता है मोबाइल वाणी और इसका कुछ प्रभाव पड़ सकता है ।

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