उत्तरप्रदेश राज्य के लोचनो ज़िला से अलखराम ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि विकासखंड माल की ग्राम पंचायत गोपालपुर के मजरे कमालुद्दीन नगर में नालियों की सफाई न होने से नालियां बजबजा रही हैं और कई जगहों पर पक्की नालियां ना होने से कच्ची नालियों में गंदगी अधिक जमा हो रही है जिससे गांव में बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है।

राजधानी के विकासखंड माल की ग्राम पंचायत गोपालपुर के निवासी रमेश सिंह देसी और जर्सी नस्ल की 25 गायें पाल रखे हैं जिनको वह रोज सुबह 10बजे गांव से 3 किमी0 दूर सस्पन पुलिया तक ले जाते हैं और चराते हुए 4 बजे तक वापस घर ले आते हैं।60 वर्ष की उम्र में यह इनकी दिन चर्या है।

गरीबों के लिए कोई भी मौसम आरामदायक या सुविधाजनक नहीं होता है क्योंकि इस मौसम में सबसे अधिक परेशानी गरीबों को ही होती है क्योंकि उनको अपनी जान बचाने के लिए आग का ही सहारा होता है।

राजधानी के विकास खंड माल अंतर्गत सैकड़ों प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के आध्यापक न समय से स्कूल आते हैं और न समय से स्कूल छोड़ते हैं।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा ग्रीन फास्फोरस के बारे में जानकारी दे रहे है। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए... सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले, मोबाइल वाणी पर, फोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

वर्तमान समय में देश में संवैधानिक मूल्यों का क्षरण किया जा रहा है। क्योंकि यह कहने वाले की देश संविधान से चलता है वह लोग ही संविधान का पालन करना नहीं चाहते और नियम कानून को ताख पर रखकर सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं और संविधान की बात करने वाले अधिकारियों पर ही कार्रवाई की जा रही है।

सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की समझ बढ़ा सकते है। ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? क्या आपके पास भी कोई नन्ही कहानी है? हमें बताइए, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.