नमस्कार आदाब श्रोताओं मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है, रोजगार समाचार यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट के 5696 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो दसवीं पास, आईटीआई या दसवीं एवं सम्बंधित ट्रेड में तीन वर्ष इंजीनयरिंग डिप्लोमा किया हो। इसके साथ ही आवेदनकर्ता की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष होनी चाहिए। इस पद के लिए आवेदन शुल्क सभी उम्मीदवारों के लिए 500 और एससी, एसटी भूतपूर्व सैनिक, महिला, ट्रांसजेंडर, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 250 रखा गया है। इस पद के लिए चयनित व्यक्तियों को प्रतिमाह 19,900 से 63,200 रूपए लेवल 2 का वेतन दिया जाएगा।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://rrcb.gov.in/ ।याद रखिए इस भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 19-02-2024 है। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी, तो मोबाइल वाणी ऐप पर लाइक का बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ भी बाँट सकते हैं।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा भिंडी की फसल में चित्तीदार सुंडी कीट की जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
“एक राष्ट्र एक चुनाव” का विचार भले ही बहुत अच्छा है, इसके समर्थन में दिए जाने वाले तर्क की देश के विकास को गति मिलेगी, राजनीतिक दल हमेशा राजनीतिक के मूड में नहीं रह पाएंगे और कि इससे देश का पैसा बचेगा, विचार के लिहाज से बहुत अच्छा है। इन सब बातों को देखते हुए इसको स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन मूल सवाल अब भी बना हुआ है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज बड़े राजनीतिक दल अपने विस्तार की लालसा को रोक कर राज्यों की सरकारों को उनका काम करने देंगे, भले ही वह उनकी विचारधारा और पार्टी की सरकार न हो?
हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। आप भी अपने चुटकुले रिकॉर्ड करें फोन में नंबर 3 का बटन दबाकर और जीतिए आकर्षक इनाम।
खींचतान में 1998 में बंद हो गई संतकबीरनगर। पिछले 25 वर्षों से बंद चल रही मगहर कताई मिल के दुबारा चलने अथवा इस जगह पर दूसरा उद्योग स्थापित होने की आस एक बार फिर अधूरी रह गई। कबीर मगहर महोत्सव का समापन करने मगहर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर सभी को उम्मीद थी कि इसको लेकर कोई घोषणा हो सकती है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में इसका जिक्र नहीं किया तो सभी निराश हो गए। मगहर कताई मिल कभी बखिरा के कपड़ा उद्योग के लिए संजीवनी बन गई थी। स्थिति यह रही कि मिल चलने के साथ कपड़ा उद्योग भी तेजी पर परवान चढ़ने लगा। 1990 के दशक में उद्योग चरम पर था। यहां तैयार कपड़े उत्तर प्रदेश ही नहीं पंजाब, महाराष्ट्र , बिहार और पड़ोसी देश नेपाल में बिकते थे। धीरे-धीरे बखिरा कपड़ा उद्योग भी खत्म हो गया। हजारों परिवार बेरोजगार हो गए। तमाम परिवार पलायन कर गए। बखिरा के बुनकर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1977 में मगहर में कताई मिल की स्थापना की गई थी। उद्देश्य था कि बुनकरों को स्थानीय स्तर पर सस्ता कच्चा माल मिल जाएगा। सस्ती लागत से उनका तैयार माल हाथो हाथ बिक जाता था, लेकिन एसी नजर लगी कि दो दशक में ही मिल बंद हो गई। इससे हजारों लोगों का रोजगार छिन गया। राजनीतिक दलों के लिए यह कभी मुद्दा नहीं बना। किसी ने धरातल पर काम नहीं किया। एक एकड़ में स्थापित है मिल मगहर में लगभग एक एकड़ में स्थापित कताई मिल से प्रत्यक्ष रूप से लगभग पन्द्रह सौ लोगों को रोजगार मिलता था। तीन हजार से अधिक ऐसे थे जिनकी अप्रत्यक्ष रूप से रोजी रोजी-रोटी चलती थी। मिल स्थापना के बाद 20 वर्ष तक लगातार शानदार ढंग से चली। मिल कर्मचारी और प्रबंधन की खींचतान में मिल 1998 में बंद हो गई। इसका प्रभाव सीधे तौर पर नगर तथा आसपास के क्षेत्र पर पड़ा। तमाम लोगों के रोजगार के साधन समाप्त हो गए। ये मिल से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े थे। संसाधन देने वाले बड़े व छोटे दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ा। बंदी के बाद से रोजगार के लिए लोगों का पलायन शुरू हो गया। हथकरघा उद्योग हुआ प्रभावित मिल चलने से इसका फायदा बुनकरों को सीधे तौर से होता था। बखिरा के बुनकर इशहाक अंसारी ने कहा कि आसपास के क्षेत्र में हथकरघा उद्योग उस समय अपने स्वर्णिम काल के दौर से चल रहा था। कताई मिल के बंद होने से न केवल हथकरघा उद्योग प्रभावित हुआ। लोगों की उम्मीद नहीं हुई पूरी मिल कर्मचारी परवेज ने बताया कि प्रदेश सरकार से उम्मीद थी कि यह मिल चल जाएगी। सरकार से आश्वासन भी मिला था। कुछ मिलों को पुनर्जीवित करने की घोषणा हुई पर उस सूची में मगहर कताई मिल का नाम शामिल नहीं हो सका।
कार्यक्रम में शामिल हुए शिक्षक, कर्मचारी संतकबीरनगर । पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राजधानी लखनऊ से लेकर जनपद तक हजारों की संख्या में शिक्षक कर्मचारी एकत्रित हुए। अटेवा, एनएमओपीएस के शीर्ष नेतृत्व ने चार फरवरी को मांग को लेकर रन फॉर ओपीएस कार्यक्रम का आयोजन किया था। अटेवा के जिलाध्यक्ष दिनेश चौहान ने बताया कि संगठन के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर जिले से बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहाकि पेंशन कर्मचारियों का हक है और हम इसे लेकर ही दम लेंगे। उन्होंने बताया कि लखनऊ के अम्बेडकर पार्क चौराहा से प्रारम्भ होकर सामाजिक परिवर्तन चौक, समता मूलक चौक से फन मॉल होते हुए लोहिया पार्क के गेट नम्बर तीन से पुन अम्बेडकर पार्क तक दौड़ लगाई । इस दौरान मंडलीय संगठन मंत्री मुकेश यादव, मंडलीय संगठन मंत्री संजय शर्मा, मोहम्मद उमर सिद्दीकी, मोहम्मद मो. शाहिद अंसारी, मो. ताहिर, रुद्र प्रताप, शिक्षक प्रकोष्ठ कांग्रेस जिलाध्यक्ष सूर्य प्रकाश आदि मौजूद रहे।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा गेंहू की फसल में सिंचाई प्रबंधन के बारे में बता रहे है । विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...
नमस्कार दोस्तों जैसा की आपको पता ही है कि हर साल दुनियाभर में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है लोगों को कैंसर बीमारी के प्रति जागरूक कर, इस बीमारी को मात देना है। हर साल कैंसर डे पर नई थीम जारी की जाती है। जिसका उद्देश्य हैं, कैंसर के लक्षण और बचाव के लिए लोगों को जानकारी देना। हर साल की तरह इस साल भी वर्ल्ड कैंसर डे की थीम "कैंसर केयर गैप को कम करें" है. हम जानते हैं कि हममें से हर एक में बदलाव लाने की क्षमता है, चाहे बड़ा हो या छोटा, साथ मिलकर हम कैंसर के वैश्विक प्रभाव को कम करने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं. इस 4 फरवरी को हम आपसे, चाहे आप कहीं भी हों, कैंसर मुक्त दुनिया बनाने में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान करते हैं. आशा करते है कि आप सब कैंसर दिवस पर सभी के साथ हौसला बढ़ाएंगे और कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई को और भी मजबूत करेंगे।इसी उम्मीद के साथ मोबाइल वाणी परिवार की और से आप सभी को विश्व कैंसर दिवस की शुभकामनाये।