विकासखंड माल की ग्राम पंचायत अऊमऊ के अमृत सरोवर में युवाओं ने पानी न होने के कारण क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है या कहें कि युवाओं ने उसे खेल का मैदान बना लिया है क्योंकि यहां पानी कभी नहीं भरता है फिर भी इसे अमृतसरोवर कहा जा रहा है।
विकासखंड माल की ग्राम पंचायत पतौना में जीवीकेएस फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से किसानों को एक दिवसीय औषधि पौधों के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
विकासखंड माल की ग्राम पंचायत पतौना के पंचायत भवन में औषधीय पौधों की खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिस पर कामिनी सिंह का इंटरव्यू
खींचतान में 1998 में बंद हो गई संतकबीरनगर। पिछले 25 वर्षों से बंद चल रही मगहर कताई मिल के दुबारा चलने अथवा इस जगह पर दूसरा उद्योग स्थापित होने की आस एक बार फिर अधूरी रह गई। कबीर मगहर महोत्सव का समापन करने मगहर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर सभी को उम्मीद थी कि इसको लेकर कोई घोषणा हो सकती है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में इसका जिक्र नहीं किया तो सभी निराश हो गए। मगहर कताई मिल कभी बखिरा के कपड़ा उद्योग के लिए संजीवनी बन गई थी। स्थिति यह रही कि मिल चलने के साथ कपड़ा उद्योग भी तेजी पर परवान चढ़ने लगा। 1990 के दशक में उद्योग चरम पर था। यहां तैयार कपड़े उत्तर प्रदेश ही नहीं पंजाब, महाराष्ट्र , बिहार और पड़ोसी देश नेपाल में बिकते थे। धीरे-धीरे बखिरा कपड़ा उद्योग भी खत्म हो गया। हजारों परिवार बेरोजगार हो गए। तमाम परिवार पलायन कर गए। बखिरा के बुनकर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1977 में मगहर में कताई मिल की स्थापना की गई थी। उद्देश्य था कि बुनकरों को स्थानीय स्तर पर सस्ता कच्चा माल मिल जाएगा। सस्ती लागत से उनका तैयार माल हाथो हाथ बिक जाता था, लेकिन एसी नजर लगी कि दो दशक में ही मिल बंद हो गई। इससे हजारों लोगों का रोजगार छिन गया। राजनीतिक दलों के लिए यह कभी मुद्दा नहीं बना। किसी ने धरातल पर काम नहीं किया। एक एकड़ में स्थापित है मिल मगहर में लगभग एक एकड़ में स्थापित कताई मिल से प्रत्यक्ष रूप से लगभग पन्द्रह सौ लोगों को रोजगार मिलता था। तीन हजार से अधिक ऐसे थे जिनकी अप्रत्यक्ष रूप से रोजी रोजी-रोटी चलती थी। मिल स्थापना के बाद 20 वर्ष तक लगातार शानदार ढंग से चली। मिल कर्मचारी और प्रबंधन की खींचतान में मिल 1998 में बंद हो गई। इसका प्रभाव सीधे तौर पर नगर तथा आसपास के क्षेत्र पर पड़ा। तमाम लोगों के रोजगार के साधन समाप्त हो गए। ये मिल से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े थे। संसाधन देने वाले बड़े व छोटे दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ा। बंदी के बाद से रोजगार के लिए लोगों का पलायन शुरू हो गया। हथकरघा उद्योग हुआ प्रभावित मिल चलने से इसका फायदा बुनकरों को सीधे तौर से होता था। बखिरा के बुनकर इशहाक अंसारी ने कहा कि आसपास के क्षेत्र में हथकरघा उद्योग उस समय अपने स्वर्णिम काल के दौर से चल रहा था। कताई मिल के बंद होने से न केवल हथकरघा उद्योग प्रभावित हुआ। लोगों की उम्मीद नहीं हुई पूरी मिल कर्मचारी परवेज ने बताया कि प्रदेश सरकार से उम्मीद थी कि यह मिल चल जाएगी। सरकार से आश्वासन भी मिला था। कुछ मिलों को पुनर्जीवित करने की घोषणा हुई पर उस सूची में मगहर कताई मिल का नाम शामिल नहीं हो सका।
कार्यक्रम में शामिल हुए शिक्षक, कर्मचारी संतकबीरनगर । पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राजधानी लखनऊ से लेकर जनपद तक हजारों की संख्या में शिक्षक कर्मचारी एकत्रित हुए। अटेवा, एनएमओपीएस के शीर्ष नेतृत्व ने चार फरवरी को मांग को लेकर रन फॉर ओपीएस कार्यक्रम का आयोजन किया था। अटेवा के जिलाध्यक्ष दिनेश चौहान ने बताया कि संगठन के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर जिले से बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहाकि पेंशन कर्मचारियों का हक है और हम इसे लेकर ही दम लेंगे। उन्होंने बताया कि लखनऊ के अम्बेडकर पार्क चौराहा से प्रारम्भ होकर सामाजिक परिवर्तन चौक, समता मूलक चौक से फन मॉल होते हुए लोहिया पार्क के गेट नम्बर तीन से पुन अम्बेडकर पार्क तक दौड़ लगाई । इस दौरान मंडलीय संगठन मंत्री मुकेश यादव, मंडलीय संगठन मंत्री संजय शर्मा, मोहम्मद उमर सिद्दीकी, मोहम्मद मो. शाहिद अंसारी, मो. ताहिर, रुद्र प्रताप, शिक्षक प्रकोष्ठ कांग्रेस जिलाध्यक्ष सूर्य प्रकाश आदि मौजूद रहे।
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विकासखंड माल की ग्राम पंचायत चंदवारा में जो गौशाला बनी है उसमें महीनो सफाई नहीं की जाती है जिससे जानवरों में बीमारियां फैलती रहती हैं यह जानकारी यहां तैनात एक केयर टेकर ने दी।