per charcha
NAVJAAT SHISHU KI DEKHBHAL
आरंभिक बाद शिक्षा पर चर्चा
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से कीर्ति सिंह उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से महामारी के बारे में जानकारी देते हुए यह कहती हैं कि जब कोई बीमारी बिना छुवाछुत के होती है, तो वह महामारी का लक्षण होता है। जैसे हमें देश में हैजा, चेचक, प्लेग और कोरोना यह महामारी है। उन्होंने यह बताया कि वर्तमान में ही करोना वायरस नाम की एक महामारी हमारे बीच में हुई थी, जो 2 सालों तक रही और आम तौर पर यह शुरुआती में एक बीमारी की तौर पर हुई थी तथा धीरे-धीरे एक शहर से दूसरे शहर तथा एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचने लगी। साथ ही डब्ल्यूएचओ द्वारा इसे महामारी घोषित भी किया गया था। इसके बाद इस महामारी से बचाव में लॉकडाउन घोषित किया गया और एक वक्त ऐसा आया जब पूरे विश्व में लॉकडाउन कर दिया गया। इसको देखते हुए डब्ल्यूएचओ के द्वारा कोविड-19 के नियम बनाए गए
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से ज्योति सिंह उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से सीडीपीओ के बारे में तथा उनके मुख्य कार्य के बारे में कहती हैं कि यह चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफीसर होते हैं। उन्होंने बताया कि सीडीपीओ को बाल विकास परियोजना अधिकारी भी कहा जाता है। इन सीनियर ऑफिसर का कार्य नागरिकों के बच्चों के भरण-पोषण से लेकर स्वास्थ्य तक की पूरी जानकारी रखने का काम करना होता है। साथ ही इस पद पर कार्य करने वाले कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने पड़ती है और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल और बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बेहतर बनाना है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से पूनम सिंह उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल शिक्षा के बारे में यह कहती हैं कि वह बच्चे जो किसी भी विषय पर सही नहीं कर पाते हैं। इसका कारन यह है कि स्कूलों में शिक्षक के न होने से पढाई में बहुत ही ज्यादा प्रभावित होती है। उन्होंने यह बताया कि बच्चों के गणित और भाषा के बुनियादी कौशलों का विकास नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि लड़कियों के स्कूल छोड़ने का कारण माता-पिता की खराब वित्तीय हालत होने कारन होता है। जिसका मतलब हो सकता है कि माता-पिता स्कूल खर्चे जैसे किताबें स्कूल आने-जाने का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं और उन्हें आर्थिक सहयोग की जरूरत पड़ती है
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से कीर्ति सिंह उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के मध्य से नवजात शिशु की सुरक्षा के बारे में जानकारी देते हुए यह बता रही हैं कि नवजात शिशु के जन्म और जीवन की सबसे अधिक संवेदनशील पहले सप्ताह के बीच में होती है। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु सुरक्षा बहुत ही ध्यानपूर्वक किया जाता है और बच्चों की देखभाल बहुत ही साफ सफाई से करनी चाहिए तथा मां को वही भोज पदार्थ दिए जाने चाहिए जिससे बच्चा स्वस्थ रहें। उन्हें इसे किसी भी प्रकार की हानि ना हो और निमोनिया जैसे कई बीमारियां घेर लेती हैं। इससे बचने के लिए साफ-सफाई अधिक जरूरी होता है तथा बच्चों का खानपान के लिए सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए और जानकारी लिए बिना कोई भी काम नहीं करना चाहिए
स्वास्थ्य का महत्व
बाल स्वच्छता