उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से रमेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत में लैंगिक असमानता आज से नहीं बल्कि बहुत पुराने समय से चल रही है। लड़कों द्वारा चार लड़कियों को दरकिनार करना प्राचीन काल से यहाँ की बुराइयों में से एक माना जाता है। भारत जैसे देश में निरक्षरता का वर्चस्व था, जहां लोग लड़कों को ही सब कुछ मानते थे, लैंगिक असमानता एक बड़ी समस्या बन गई थी। पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों, विशेष रूप से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, को बेटियों को बेहतर वातावरण और समाज देने के लिए आगे लाया गया। आज सरकार ने व्यापक भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं कि न केवल बेटी बल्कि बेटा भी सब कुछ है। आज लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। लोग अब बेटियों को भी घर की लक्ष्मी मान रहे हैं, अगर यह स्थिति बनी रही तो लैंगिक असमानता में पीछे रह रहा भारत आने वाले कुछ समय में अन्य देशों को भी लैंगिक समानता के लिए प्रेरित करेगा।

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उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से सुरेश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जहां तक पानी की समस्या जो पूरी दुनिया में एक साथ बढ़ रही है इसको देखते हुए बड़े फैसले लेने की जरूरत है। कल तक, पानी के जो स्रोत थे कुएँ, तालाब, नदियाँ थीं जो प्राकृतिक रूप से हमे पानी देते थे।लेकिन अब जब बारिश ठीक से नहीं हो रही है तो पानी का संकट भी गहरा हो रहा है। तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण कुएं और तालाब भर रहे हैं, जिससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, ऐसी स्थिति में जहां लोगों को कल तक जहां पचास फीट में ही स्वच्छ पेयजल मिलता था। अब लोगों को तीन सौ पच्चीस से सौ फीट अंदर जाकर पीने का पानी मिल रहा है, इसलिए अब ऐसा नियम बनाने की जरूरत है कि लोग अपने घरों में समरसेबल पंप लगा रहे हैं, जिससे पानी की भारी बर्बादी हो रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से गजेंद्र सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन सरकार के साथ-साथ आम जनता पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है। जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का दूर-दराज के गाँवों या कस्बों में अभी तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। जल स्तर अब बहुत नीचे जा रहा है। इस साल की भीषण गर्मी के दौरान वाराणसी के सभी गांवों के कुएं सूख गए हैं, जबकि हैंडपंपों में भी पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है। सरकार जल निगम के माध्यम से हर गाँव में पीने का पानी पहुँचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जो योजना जमीन पर है वह अभी भी बहुत अपर्याप्त है। कागज पर, यह आंकड़ा सरकारी अधिकारियों द्वारा अतिरंजित किया गया है, जबकि वास्तव में, यह अभी भी वास्तविकता से बहुत दूर है। सबसे महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि तालाबों में पानी गांवों में दिखाई नहीं दे रहा है। दूसरी ओर सरकार द्वारा बनाई गई नहरों को खोदा गया है। गाँव में जल स्तर पिछले कई वर्षों से बराबर नहीं होने के बावजूद काफी कम हो गया है, जबकि गाँवों में तालाबों में पानी की व्यवस्था नहीं की गई है। चूंकि पानी तालाबों तक नहीं पहुंच पा रहा है, इसलिए जहां तक शहरों का सवाल है, जहां तक गांवों का सवाल है, चौतरफा नवीनीकरण के बावजूद पानी की निकासी कैसे की जा रही है। काशी की प्रणाली तालाबों की ओर उन्मुख नहीं होने के कारण, तालाब हमेशा खाली रहते हैं। गाँवों या कस्बों में पानी बचाने का एकमात्र तरीका तालाबों का पुनर्निर्माण करना है और पानी की व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा हर गांव में अमृत सरोवर बनाए गए थे, लेकिन वे कागज पर बनाए गए थे और उनमें पानी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से गजेंद्र कुमार सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता का पहला कारण निरक्षरता है, चाहे वह पुरुषों में हो या महिलाओं में। दोनों तरफ से अगर कोई अनपढ़ है तो महिलाओं को समान दर्जा देना मुश्किल है। जबकि वह शोषण नहीं करता है, वह महिलाओं को अपना समान अधिकार देता है, अगर महिलाओं को शिक्षा की शक्ति नहीं मिलती है, तो महिलाएं खुद पीछे रह जाती हैं। बदलते युग में आज लोग लड़कियों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। लड़कियाँ शिक्षित हो रही हैं। लड़कियाँ भी शिक्षित होने के बाद अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। लेकिन भारत में, गाँव घर की संरचना महिलाओं को घर के भीतर एक द्वितीयक दर्जा देती है। यह सामाजिक संरचना महिलाओं को घर के भीतर एक द्वितीयक दर्जा देती है। इसके लिए सामाजिक ढांचे की संरचना भी जिम्मेदार है, फिर भी महिलाओं को सरकार द्वारा सभी अधिकार दिए जा रहे हैं।

अभी भी भारत के कई हिस्सों में समाज में महिलाओं को उचित अधिकार प्राप्त नहीं है उन्हें पुरुषों से कमतर समझा जाता है। इसलिए हमे जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण के बिना अन्याय लैंगिक पक्षपात और असमानता को दूर नहीं किया जा सकता है। यह महिलाओं की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।

एयरपोर्ट सर्विस क्वालिटी को लेकर साल 2023 की आखिरी तिमाही में हुए संरक्षण में वाराणसी देश में तीसरे नंबर पर है.

एस . सी . ई . आर . टी . लखनऊ के तत्वावधान में मोबाइल वाणी पर वाराणसी के कृष्णन गुप्ता ने डी . ए . टी . सारनाथ सभागार में कार्यक्रम और गतिविधियों के तहत जिला स्तर की कहानी कहने की प्रतियोगिता का समापन किया । विभिन्न प्रखंडों के कुल एक सौ ग्यारह अभिनव शिक्षकों ने भाग लिया जिसमें रमाई पट्टी विद्यालय , पिंडाना के कमलेश पांडे , धौकलगंज विद्यालय , बडागांव , अजयपुर विद्यालय , पिंडाना के अरविंद सिंह चंद्रेश कुमार ने भाग लिया । इस अवसर पर जूरी सदस्य और वरिष्ठ प्रवक्ता सूर्यकांत त्रिपाठी , हरि गोबिंद पुरी , विकास कुशवाहा , अनुराग सिंह सालेनी , उपाध्याय गोविंद चौबे और नीलम राय को पहला पुरस्कार दिया गया ।

यह कार्रवाई मुंबई क्राइम ब्रांच की तेज तर्रार इंस्पेक्टर रूपाली व वाराणसी एसटीएफ इंस्पेक्टर अनिल सिंह व थाना अध्यक्ष सिंधोरा अखिलेश वर्मा के द्वारा की गई

तहसील दिवस पर अधिकांश शिकायत जमीन संबंधी रहे