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उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से सुरेश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जहां तक पानी की समस्या जो पूरी दुनिया में एक साथ बढ़ रही है इसको देखते हुए बड़े फैसले लेने की जरूरत है। कल तक, पानी के जो स्रोत थे कुएँ, तालाब, नदियाँ थीं जो प्राकृतिक रूप से हमे पानी देते थे।लेकिन अब जब बारिश ठीक से नहीं हो रही है तो पानी का संकट भी गहरा हो रहा है। तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण कुएं और तालाब भर रहे हैं, जिससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, ऐसी स्थिति में जहां लोगों को कल तक जहां पचास फीट में ही स्वच्छ पेयजल मिलता था। अब लोगों को तीन सौ पच्चीस से सौ फीट अंदर जाकर पीने का पानी मिल रहा है, इसलिए अब ऐसा नियम बनाने की जरूरत है कि लोग अपने घरों में समरसेबल पंप लगा रहे हैं, जिससे पानी की भारी बर्बादी हो रही है।

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मनरेगा का सीधा लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के पुरुषों और महिलाओं को देखने को मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा योजना लागू किया गया है। मनरेगा के अंतर्गत काम करने का पैसा सीधा मजदूर के अकाउंट में दिया जाता है। इस योजना में कई कमियां भी देखने को मिलने लगी। जैसे-कमीशनखोरी,मशीनों का प्रयोग,इत्यादि। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से गजेंद्र सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन सरकार के साथ-साथ आम जनता पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है। जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का दूर-दराज के गाँवों या कस्बों में अभी तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। जल स्तर अब बहुत नीचे जा रहा है। इस साल की भीषण गर्मी के दौरान वाराणसी के सभी गांवों के कुएं सूख गए हैं, जबकि हैंडपंपों में भी पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है। सरकार जल निगम के माध्यम से हर गाँव में पीने का पानी पहुँचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जो योजना जमीन पर है वह अभी भी बहुत अपर्याप्त है। कागज पर, यह आंकड़ा सरकारी अधिकारियों द्वारा अतिरंजित किया गया है, जबकि वास्तव में, यह अभी भी वास्तविकता से बहुत दूर है। सबसे महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि तालाबों में पानी गांवों में दिखाई नहीं दे रहा है। दूसरी ओर सरकार द्वारा बनाई गई नहरों को खोदा गया है। गाँव में जल स्तर पिछले कई वर्षों से बराबर नहीं होने के बावजूद काफी कम हो गया है, जबकि गाँवों में तालाबों में पानी की व्यवस्था नहीं की गई है। चूंकि पानी तालाबों तक नहीं पहुंच पा रहा है, इसलिए जहां तक शहरों का सवाल है, जहां तक गांवों का सवाल है, चौतरफा नवीनीकरण के बावजूद पानी की निकासी कैसे की जा रही है। काशी की प्रणाली तालाबों की ओर उन्मुख नहीं होने के कारण, तालाब हमेशा खाली रहते हैं। गाँवों या कस्बों में पानी बचाने का एकमात्र तरीका तालाबों का पुनर्निर्माण करना है और पानी की व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा हर गांव में अमृत सरोवर बनाए गए थे, लेकिन वे कागज पर बनाए गए थे और उनमें पानी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से गजेंद्र कुमार सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता का पहला कारण निरक्षरता है, चाहे वह पुरुषों में हो या महिलाओं में। दोनों तरफ से अगर कोई अनपढ़ है तो महिलाओं को समान दर्जा देना मुश्किल है। जबकि वह शोषण नहीं करता है, वह महिलाओं को अपना समान अधिकार देता है, अगर महिलाओं को शिक्षा की शक्ति नहीं मिलती है, तो महिलाएं खुद पीछे रह जाती हैं। बदलते युग में आज लोग लड़कियों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। लड़कियाँ शिक्षित हो रही हैं। लड़कियाँ भी शिक्षित होने के बाद अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। लेकिन भारत में, गाँव घर की संरचना महिलाओं को घर के भीतर एक द्वितीयक दर्जा देती है। यह सामाजिक संरचना महिलाओं को घर के भीतर एक द्वितीयक दर्जा देती है। इसके लिए सामाजिक ढांचे की संरचना भी जिम्मेदार है, फिर भी महिलाओं को सरकार द्वारा सभी अधिकार दिए जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि पेड़ों की कटाई अधिक गर्मी पड़ने का सबसे बड़े कारणों में से एक है।पहले पेड़ों की संख्या अधिक थी। फलदार वृक्ष थे। इसके साथ देखा जाए तो सभी बड़े पेड़ जैसे पीपल बरगद, पाकड़, गुलार, छायादार पेड़ अधिक हुआ करते थे। अब ऐसे पेड़ बहुत कम हो गए हैं। बड़े आकर के वृक्ष में अधिक ऑक्सीजन छोड़ने और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता होती है.ऐसे पेड़ पर्यावरण के लिए अच्छे माने जाते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि बरसात का मौसम आते है सरकार के सभी विभाग वृक्षारोपण को लेकर सतर्क हो जाते हैं। जगह-जगह पर मानक के अनुसार वृक्ष लगाए जाते हैं। इसके लिए बजट जारी किया जाता है। सवाल ये है कि क्या बजट लेने के लिए लोग वृक्षारोपण करते हैं या सही में वृक्ष लगाने के लिए? हर वर्ष लाखों करोड़ों पौधे लगाने के बाद कितने पौधे बचते हैं,ये देखना भी जरुरी है।क्योंकि जिस तादाद में वृक्षारोपण हर साल लिया जाता है,उतने वृक्ष वर्तमान में दिख नहीं रहे हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि जिन जगहों पर जल की किल्लत है जल का महत्त्व वही लोग समझ सकते हैं। लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है ताकि उन्हें पीने के लिए पानी की एक बूंद मिल सके। जल संरक्षण के लिए सरकार की तरफ से मुहीम चलाया जाता है और समय-समय पर विज्ञापन दिए जाते हैं। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी विज्ञापन दिए जाते हैं, लेकिन विज्ञापन से कितने लोग अब तक जागरूक हुए हैं?लोग सन्देश सुनते तो जरूर हैं,मगर पहल नही कर पाते हैं। वाराणसी जनपद में लोग धड़ल्ले से बोरिंग करवा रहे हैं,जिससे जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। जल संरक्षण के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक होना होगा और सरकार को सख्ती से जल संरक्षण हेतु कार्य करना चाहिए। देश के नागरिक को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की जरूरत है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि देश की आजादी के बाद से ही महिलाओं के अधिकार सुर्खियों में रहे हैं जब कानून बने हैं और संविधान लागू हुए हैं। चुनाव के दौरान सभी राजनितिक पार्टियां महिलाओं के लिए लुभावने वादे करते हैं। मगर महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक कदम नही उठाए जाते हैं। महिलाओं को कुटीर लघु उद्योग में और सब्सिडी मिलनी चाहिए। साथ ही उन्हें आसानी से लोन मिलनी चाहिए। प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों के फिस मे छूट का भी प्रावधान होना चाहिए।महिलाओं को सिर्फ घर तक ही सिमित नही रहनी चाहिए ,बल्कि बाहर निकल कर अपने हक़ की लड़ाई लड़नी चाहिए विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...