मैक्लुस्कीगंज स्थित डेगाडेगी नदी तट पर मकर संक्रांति के अवसर मेला का आयोजन किया गया. मेला का शुभारंभ लपरा ग्राम प्रधान हरि पाहान डुमारो के कुलदीप पाहान रूपलाल मुंडा ने मेला स्थल पर पारम्परिक रूप से पूजन कर किया गया. वहीं मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित चंदवा जीप सदस्य पूर्वी प्रतिमा देवी व खलारी पश्चिमी जीप सदस्य सरस्वती देवी सहित विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित लपरा मुखिया पुतुल देवी, मायापुर मुखिया पुष्पा खलखो, डुमारो मुखिया सुनीता खलखो सहित शेखर बोस ने संयुक्त रूप से फीता काटकर मेला का उद्घाटन किया. अतिथियों ने कहा मेला व नृत्य संगीत झारखण्ड की संस्कृति व सभ्यता का बेजोड़ प्रतीक है. झारखण्ड के साथ साथ राज्य व अति सुदूर क्षेत्रो में भी मांदर व नगाड़े की थाप कभी धीमी नहीं पड़नी चाहिये, आने वाली पीढ़ी को विरासत के रूप में हमारी संस्कृति व परम्परा की जानकारी मिलती रहे. उन्होंने कहा कि डेगाडेगी मेला क्षेत्र का ऐतिहासिक मेला के रूप लेकर उभरेगा. अतिथियों ने यह भी कहा कि मेला स्थल डेगाडेगी नदी पर बना पूल जिस तरह से लातेहार व रांची जिला के दो अति सुदूर गांव मैक्लुस्कीगंज व डुमारो को जोड़ती है, ठीक उसी तरह से संक्रांति जैसे अवसर पर आयोजित मेला स्थल से ही दो हृदय, दो परिवारों के पवित्र मिलन का संयोग साबित होता है. इससे पुर्व मेले में आये अतिथियों का स्वागत मेला समिति द्वारा पुष्प गुच्छ देकर किया गया. मेले में रैलिया, डुमारो, लपरा, चतरा, लोहरदग्गा, रांची, लातेहार, रामगढ, पतरातु, बालुमाथ, मुरपा, चंदवा, कुड़ू़ से आये लोगों ने नदी में स्नान कर मन्नत मांगी और ईख, मिठाई, श्रृंगार, कृषि उपयोगी सामान, खिलौने आदि की जमकर खरीदारी करते नज़र आये. मेला में डुमारो से आये गायक कपिलदेव सिंह, नागपुरी कलाकार बसन्ती देवी व अभिनंदन ग्रुप पारम्परिक नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहा. मेला का संचालन सुशील तिवारी, मुखदेव गोप वहीं धन्यवाद ज्ञापन रामबिलास गोप व रामभजन सिंह ने संयुक्त रूप से किया. मेले को सफल बनाने में शेखर बोस, जितेन्द्रनाथ पांडेय, प्रभु मुंडा, बिरजा उरांव, हरेंद्र उरांव, उमेश प्रसाद साहू, शशि साहू, महादेव राणा, रामेश्वर भोगता, रामभजन सिंह, बसन्त मिस्री, हरेंद्र उरांव सहित समिति के अन्य का सराहनीय योगदान रहा.