पिपरवार प्रबंधन ने चतरा जिला अंर्तगत टंडवा प्रखंड के पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र से सटे विभिन्न पंचायतों मेंसीसीएल के निगमित सामाजिक दायित्व के तहत खेल कूद की सामग्री का किया वितरण। आगे उन्होंने बात करते हुए कहा कि खेल जीवन का एक अभिन्न अंग है पहले कहा जाता था कि पढ़ोगे लिखोगे तो होगे नवाब खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब। लेकिन इस धारणा को आज के युग में गलत साबित कर दिया है।अब तो कहा जाता है की खेलोगे कूदोगे तो होगे महान । जी हा पहले जीवन में खेल कूद को उतना महत्व नहीं दिया जाता था लेकिन जैसे जैसे समय बिता वैसे वैसे लोगो के सोच में भी विकास हुआ।जहा एक और केवल पुरुष ही खेल कूद में भाग लेते थे वही अब हमारी महिलाएं भी इसमें पीछे नही है वे भी देश के लिए एशियन गेम्स,कॉमनवेल्थ गेम्स तथा ओलंपिक जैसे खेलों में देश के लिए मेडल जीतती है जिससे देश का सीना चौड़ा हो जाता है। खेलना सबका अधिकार है मनुष्य के जीवन में खेल कूद ना हो तो उनका चारित्रिक विकास नहीं होता है। खेल हमे आपसी भाईचारा ,प्रेम और लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित होकर संघर्ष करने की शक्ति देता है।लेकिन प्रगतिशील और आधुनिक बनने की दौर में हम अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है खेल का महत्व जैसे भूलते जा रहे है।आज के बच्चें घंटो ऑनलाइन गेमिंग ऐप में अपने आप को झोंक दिया है जिससे उनका न तो चारित्रिक विकास हो पा रहा और नही दिमाग विकसित हो रहा है। जिससे बच्चे बहुत कमजोर और शरीर से दुर्बल नजर आते है। अब तो नई शिक्षा नीति के अनुसार भारत के सभी सरकारी गैर सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में खेल कूद को एक विषय के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है। बच्चो को शारीरिक शिक्षा का ज्ञान होना ही चाहिए।खेल कूद से केवल शरीर का विकास ही नही होता बल्कि स्पोर्ट्स कोटे से कई सरकारी विभागों में नौकरियां भी मिलती है ।इसलिए हमे अपने जीवन में खेल कूद को अपनाना ही नही चाहिए बल्कि शारीरिक और मानसिक रुप से मजबूत होना चाहिए।