एंबेडिंग कास्टिंग का मतलब होता है सांचे में डालना प्रक्रिया में इनफील्ट्रेशन और इंप्लीकेशन इन बेनग्रेशन के द्वारा टिशु को वर्ण लिक्विड पैराफिन वैक्स में रखा जाता है जो कि कल होने पर एक ब्लॉक में कन्वर्ट हो जाता है हो जाता है होने पर एक ब्लॉक वेडिंग के द्वारा टिशु को माइक्रोटोम से क्षेत्र कटिंग करने के लिए तैयार किया जाता है आलमंड शॉप का एंब्रॉयडरी बॉक्स उसे किया जाता है जो 10 से 20 मिनट के लिए कोल्ड रखते हैं कोल्ड वाटर में से रखते हैं और आलमंड का फुल फॉर्म क्या होता है लिक्विड मोड मेथड आलमंड शॉप का एंबेडिंग एल मॉडल हैवी मैटेलिक ब्रॉस के पीछे से बना होता है क्लास की क्लास की प्लेट पर रखा जाता है ग्लास प्लेट पर अल्प्स में ग्लिसरीन अप्लाई कर सकते हैं ल शेप्ड इन वेडिंग वर्ल्ड बनाकर अब हम इस टिश्यू के पीस में बॉक्स कैविटी नंबर भी रखते अब इसमें मेथड पैराफिन वैक्स को पूरे कल होने पर दोनों अल्प्स में सेपरेट करते हैं अब हमें टिशु को आप लोग बनाकर अब टिशु का ब्लॉकिंग हॉल की थे टिशु से ब्लॉक को होल्ड करके माइक्रोटोम से फिक्स करते हो टिशु को ब्लॉक की क्षेत्र कटिंग करने के लिए रेडी करते हैं
कीटोन बॉडीज जब भी कार्बोहाइड्रेट ली जाती है तो कुछ अपर्याप्त कार्बोहाइड्रेट दी जिनमें मेटाबॉलिक मेटाबॉलिज्म के दौरान कुछ कार्बोहाइड्रेट डिफेक्ट होता है जिस कारण से बॉडी में फैसिलिटी की मात्रा बढ़ जाती है फैटी एसिड बढ़ जाने के कारण बॉडी के अंदर इंटरमीडिएट प्रोडक्ट बढ़ जाता है जैसे कि कीटोन बॉडी जो की ब्लू की ब्लू में इंक्रीज हो जाती है और इसके लिए रुद्राक्ष टेस्ट लगाया जाता है तो सबसे पहले इसमें टेस्ट ट्यूब में टेस्ट ट्यूब रिटायरमेंट में टेस्ट ट्यूब लेते हैं टेस्ट ट्यूब लैंप लेते स्पीड लैंप लेते हैं पार्सल प्रीपेड लेते हैं ड्रॉपर लेते हैं और प्रोसेसर एक क्लीन एंड ड्राई ग्लास टेस्ट ट्यूब लेते हैं पार्सल प्रीपेड की हेल्प से फायदे में यूरिन टेस्ट ट्यूब में ऐड करते हैं टेस्ट ट्यूब में 1 ग्राम रुद्राक्ष पाउडर भी ऐड करते हैं अब टेस्ट ट्यूब में यूरिन और रुद्राक्ष पाउडर को मिक्स करते हैं अब 1 से 2 ड्रॉप लिक्विड अमोनियम सल्फेट को साइड से डालते हैं जिससे जो उसमें जो एलिमेंट ऑब्जरवेशन न अपीरियंस का पर्पल कलर की रिंग नहीं सो होती है तो जो कीटोन बॉडीज होती है वह यूरिन में एब्सेंट होती है और अगर अपीरियंस का पिक पुपेक्स क्रीम सो होती है तो जो कीटोन पॉजिटिव होती है और यूरिन में प्रजेंट होती है
दिन में ग्लूकोस टेस्ट के लिए टेबलेट मेथड का उसे किया जाता है साथ ही जिसमें टैबलेट का उसे कहते जिसमे टैबलेट को जो की कलर जो की कॉपर सल्फेट साइट्रिक एसिड सोडियम सिट्रेट कार्बन और हाइड्रोजन जो टेबलेट होती है उसमें यूरिन में टैबलेट को डालने के बाद रिएक्शन के कारण कलर चेंज होता है इसमें क्या-क्या रिक्वायरमेंट होती है तो हमें जो होते यूरीन सैंपल की होती है और टेस्ट ट्यूब की होती है प्रॉपर की होती सबसे पहले क्लीन एंड फिर एक वन एमएल की टेस्टी ट्यूब लेते हैं और 52 मल की टेस्टी में 5 ड्रॉप यूरिन लेते हैं अभी इस यूरिन में 10 ड्रॉप वॉटर एड करते हैं अब टेस्ट ट्यूब में टैबलेट को डालते हैं अब जिसमें ट्यूब में हल्का सा उबाल आने लगता है और इसके बाद इसका कलर चेंज हो जाता है अब इसके बाद आए हुए रिजल्ट को नोट किया जाता है ऑब्जरवेशन तो जो कलर चेंज होता है अगर यूरिन में कलर चेंज नहीं हो रहा है उसमें ग्लूकोस प्रजेंट नहीं है तो टेस्ट नेगेटिव आता है और अगर पॉजिटिव आता है तो यूरिन होती है उसमें ग्लूकोस प्रेजेंट होता है
यह टेस्टी स्पीड मटेरियल टेस्ट स्पीड प्लास्टिक की बनी होती है इसके रीजेंट लगी होती है जो की शुगर की प्रसेंस और एब्सेंट के कलर के चेंज होने को शो करते हैं जब इस स्पीड को यूरिन में ड्रॉप किया जाता है तो यह केमिकल रिएक्शन के कारण अपना कलर चेंज करती है वह चेंज हुए कलर को स्पीड के बॉक्स पर बने कलर चार्ट से मैच किया जाता है यह स्पीड मार्केट में इसलिए अवेलेबल हो जाती है
बेनेडिक्ट टेस्ट क्यों लगाते हैं तो जो ग्लूकोस होता है अगर हमारी यूरिन में अगर ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है इसका पता लगाने के लिए हम बेनेडिक्ट टेस्ट लगते हैं बेनेदिक टेस्ट के लिए हमें क्या रिक्वायरमेंट होती है क्यों लगा कैसे करते इसमें सबसे पहले हम टेस्टिटिव की आवश्यकता और टेस्ट ट्यूब होल्डर की बंसल बर्नर की बेनेदिक रीजेंट के यूरीन सैंपल की ओर ड्रॉपर की तो सबसे पहले क्या करते हैं क्लीन एंड डायट इंस्टीट्यूट लेते हैं टेस्ट ट्यूब में 5 मल बेनेदिक रीजेंट डालते हैं इसमें पासवर्ड प्रीपेड की हेल्प से एड्रेस यूरिन को ऐड करते हैं अब इसे अच्छी तरह से मिक्स करते हैं बंसल बर्नर पर 5 तो 10 मिनट तक ठीक करेंगे और टेस्टो ट्यूब के अप्पर पोर्शन को हिट करते हैं जब इस टेस्ट ट्यूब को वाटर या रनिंग टैप वाटर से कॉल करते हैं तो ऑब्जर्व उसके बाद उसका ऑब्जरवेशन करते हैं तो अगर ब्लू कलर होता है तो ब्लू कलर होता है तो एब्सेंट एब्सेंट होता है यूरिन में ग्लूकोज और अगर ग्रीन कलर होता है तो 1% प्रेजेंट होता है ग्रीन एंड येलो कलर होता है तो 2% प्रेजेंट होता है ग्रीनीश येलो होता है तो प्लस प्लस प्रेजेंट होता है येलो एंड ऑरेंज होता है तो 3% प्रेजेंट होता है ग्लूकोस यूरिन में और अगर ऑरेंज एंड ब्राइट रेड होता है तो उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में जो होता है यूरिन में ग्लूकोज प्रेजेंट होता है
आॅकल्ट ब्लड टेस्ट इसमें रिकॉर्ड रिटायरमेंट में क्लास टेस्ट ट्यूब पाश्चर प्रीपेड ड्रॉपर बेंजीन पाउडर ग्लीसरिक एसिटिक एसिड स्टेप फोर्स हाइड्रोजन पराक्साइड लाइन कवर स्लिप और स्लाइड लेते हैं प्रोसीजर मतलब इस प्रक्रिया को हम कैसे करते हैं तो एक क्लीन एंड राइट टेस्ट ट्यूब लेते हैं टेस्ट ट्यूब में 1 इंच बेंजीन पाउडर डालते हैं आप टेस्ट ट्यूब को 2 से 3 ड्रॉप ग्लीसरिक एसिड डालते हैं और उसे मिक्स करते हैं मिक्स करने के बाद तब टेस्ट ट्यूब में 2 म h2o सॉल्यूशन ऐड करते और मिक्स करते हैं आप टेस्ट ट्यूब में 1 मल सुपरनैटेंट पार्ट को 2 मल की टेस्ट ट्यूब में अलग ट्रांसफर करते हैं और ट्रांसफर किए गए सुपरनैटेंट पार्ट में 0.5 मल यूरिन ऐड करते हुए उसे अच्छी तरह से मिक्स करते मिक्स करने के बाद 5 मिनट के बाद कलर ऑब्जरवेशन करते हैं अगर जो कलर चेंज तो उसमें आॅकल्ट प्लेट एब्सेंट होगा अगर कलर चेंज होता है तो उसमें होकर ब्लड प्रेशर मतलब टेस्ट पॉजिटिव है
सिरम हमें विदाउट एंटीकोगुलान एंटीकोगुलान ब्लड को सेंट्रीफ्यूज करने से प्राप्त किया जा सकता है प्लाज्मा को एंटीकोगुलान ब्लड में सेंट्रीफिस करने से प्राप्त किया जा सकता है और सीरम में फ्लोटिंग फैक्टर एब्सेंट होता है जिसे फाइब्रिनोजेन और प्लाज्मा में प्रोटीन फैक्टर प्रेजेंट होता है जैसे फाइबरनेट एंड प्रेजेंट होता है जो सीरम होता है इसको इंस्टॉल करने के लिए 2 से 6 डिग्री टेंपरेचर की आवश्यकता होती है कुछ दिनों तक स्टोर किए के रखा जा सकता है सीरम को और जो प्लाज्मा होता है इसको 1 ईयर तक स्टोर करके रखा जा सकता है 80 डिग्री सेल्सियस पर और जो सीरम होते हैं लाइट येलो एंड क्लियर कलर का होता है और जो प्लाज्मा होता है येलो कलर होता है सीरम की डेंसिटी 1.024 ग्राम पर डील होती है और प्लाज्मा के डेंसिटी 1.025 ग्राम पर डील होती है जो सीरम होता है इसका वॉल्यूम प्लाज्मा से कम होता है और जो प्लाज्मा होता है इसका वॉल्यूम ब्लड का 55% होता है सीरम प्राप्त करने के लिए वेल्स का उसे किया जाता है और प्लाज्मा प्राप्त करने के लिए एंटीकोगुलान वेल्स का उसे किया जाता है जिसे पर्पल कलर की ट्यूब
पैरासाइटोलॉजी मेडिकल साइंस के ब्रांच होती है जिसमें हम परजीवी जिसके अंदर हम परजीवी की स्टडी करते हैं और पैरासाइटोलॉजी में मेरे से परजीवी की स्टडी करते हैं जो इनफैक्ट होते हैं और वूमेन में डिजीज प्रोड्यूस करते हैं परजीवी रोजी माइक्रोबायोलॉजी की एक ब्रांच होती है परजीवी क्या होते परजीवी लिविंग आर्गनिज्म होते हैं और लिविंग होस्ट लिविंग होस्ट में अपनी लाइफ साइकिल कंप्लीट करते हैं अपने पोषण के लिए लिविंग होस्ट पर डिपेंड रहते हैं ऐसे परजीवी को ऐसे माइक्रोऑर्गेनाइज्म को परजीवी कहा जाता है परजीवी को टू पार्ट में डिवाइड किया गया है प्रोटोजोआ और हेलमेटोलॉजी प्रोटोकॉलजी यूनिसेल्यूलर होता है इसमें हम प्रोटोजोआ की स्टडी करते हैं और हेलमेटोलॉजी मल्टीसेल्यूलर होते हैं उसमें हम हेलमेट्रिक और किट और उनसे होने वाले रोगों की स्टडी करते हैं
हर रोज केले खाते हैं तो इससे आपके शरीर में मौजूद खून अच्छे से खून के अच्छे से सफाई होती है साथ ही यह अकेला रक्त शोधन का काम करता है इससे आपको स्क्रीन पर होने वाली एलर्जी खुजली समेत कई अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है केले में मौजूद गुण शरीर पर ठंडा प्रभाव डालते हैं जिससे पेट की गर्मी बाहर निकल जाती है सर्दी जुकाम या खांसी में की समस्या में हमको किले का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि जो केले की तासीर होती है ठंडी होती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं एंटी माइक्रोवेव गुण भी हो सकते हैं यह दर्द सूजन में राहत प्रदान कर सकता है केला दर्द सूजन मेरा हाथ प्रदान करता है यह डिप्रेशन को मैनेज करने में भी हेल्प करता है