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माइक्रोस्कोप क्या होता है माइक्रोस्कोप का उसे किसी भी छोटे ऑब्जेक्टिव लेंस को देखने के लिए क्या किया जाता है जिसे हम नीडेड ऐसे नहीं देख सकते कंपाउंड माइक्रोस्कोप एक बेसिक टूल होता है सेंसिटिव एजुकेशन और रिसेप्शन के बेस पर इसमें तू स्टेज होती है इमेज को फाइंड मैग्नीफाई करने में हेल्प करता है इसमें ऑब्जेक्टिव लेंस का उसे किया जाता है जिसमें बहुत से डिफरेंट पावर लगे होते और इसमें आईपीएस होता है जिसकी हेल्प से हम ऑब्जेक्टिव लेंस के द्वारा इमेज फॉर्मेट होती है और कंपाउंड माइक्रोस्कोप को 2 पार्ट में डिवाइड किया गया ऑप्टिकल पार्ट और मैकेनिकल पार्ट ऑप्टिकल पार्ट को 2 पार्ट में डिवाइड किया गया मोनोक्लोनल और ग्लाइकोलों मोनोक्युलर मतलब जिसमें 1 आईपीएस होती है और बाइक होना जिसमें तू आईपीएस होती है और मेकैनिकली यह पार्ट यह मेटल का बना होता है इनमें वुडन बेस पिलर स्टेज आर बॉडी यूट्यूब नोज पीस और फाइन एडजस्टमेंट
रिसेप्शन रिकॉर्डिंग और लेबलिंग के बारे में जानकारी रिसेप्शन लेबोरेटरी के अंदर बहुत टाइप की स्पेसिमेन आते हैं उन स्पेसिमेन को रिसेप्शन पर नोट करना चाहिए स्पेशल की स्पेसिमेन के कहां से आता है कौन से डॉक्टर के द्वारा डिस्ट्रीब्यूशन किया गया है और यह सारी इनफार्मेशन हमें होनी चाहिए बतानी चाहिए लेप को मैनेज करने के लिए रिसेप्शन पर जो भी परसों वर्क कर रहा है वह वाले एक्युरेटेड होना चाहिए उसे टेस्ट के बारे में इतना लेट के बारे में सारी इनफार्मेशन होनी चाहिए रिकॉर्डिंग क्या होती है लेबोरेटरी में रिकॉर्डिंग के एक इंपॉर्टेंट प्रक्रिया होती जो की लाइफ के अंदर परफॉर्म की जाती है लेट में सभी प्रकार के सैंपल की रिकॉर्डिंग की जाती है उसमें हमें क्या-क्या रिकॉर्डिंग करना चाहिए तो पेशेंट का नाम आगे सेक्स आईडेंटिफिकेशन नंबर नाम का टेस्ट तो प्रक्रिया का टेस्ट फिजिकल अपीरियंस और रिजल्ट का टेस्ट लेबलिंग क्या होती है तो लेबोरेटरी के अंदर बहुत सारे टाइप के स्पेसिमेन आते हैं इन्हें लेवल के लिए करना आवश्यक होता है मजदूर इस ने लेवल करने किया इसलिए किया जाता है कि पेशेंट का सैंपल आपस में मिक्स हो जिसके कारण रिकॉर्ड गलत या सही हो सकती क्योंकि एक ही नाम के दो पेटेंट हो सकते हैं इसलिए हमें उनका लेवलिंग करना आवश्यक होता है इससे उसका आईडेंटिफिकेशन नंबर किया जा सके और हम पेशेंट को सही रिजल्ट या रिपोर्ट दे सके
हिस्टोपैथोलॉजी लैब में जब भी कोई सैंपल यह स्पेसिमेन आता है आने पर सबसे पहले उसका फिक्सेशन किया जाता है उसके बाद टिशु प्रोसेसिंग उसे की जाती टिशु प्रोसेसिंग क्यों की जाती है तो टिशु से वाटर को रिमूव करने के लिए टिशु प्रोसेसिंग की जाती है टिशु प्रोसेसिंग तू मैटर से की जाती है टिशु प्रोसेसिंग ऑफ़ टिश्यू बाय मैन्युअल मेथड और टिशु प्रोसेसिंग ऑफ़ टिश्यू में ऑटोमेटिक मेथड टू मैन्युअल मेटल फोर टाइप्स होती है क्लीयरिंग इंप्लीकेशन इनफील्ट्रेशन एंबेडिंग रिक्वायरमेंट 90% अल्कोहल 80% अल्कोहल 30% अल्कोहल वॉल्यूम की वॉल्यूम 50% अल्कोहल वॉल्यूम की वॉल्यूम कॉपर सल्फेट चाइल्ड इन पैराफिन वैक्स एंबेडिंग ओवन लीड पेंसिल और एंबेडिंग बॉक्स क्लीयरिंग किस टाइप में सायरन का उसे किया जाता है क्योंकि जो चैलेंज होता है वह क्लीयरिंग एजेंट का वर्क करता है यह अल्कोहल को रिप्लेस करने में हेल्प करता है जिससे पैराफिन वैक्स के लिए स्पेस हो जाता है और इंप्लीकेशन के बाद पैराफिन वैक्स के लिए स्पेस बन जाता है