भारत में केवल 1 फ़ीसदी आबादी की महीने की कमाई 50 हजार रुपये से अधिक की है. ऐसे में भारत में स्वयं का उद्योग शुरू कर पाना काफी मुश्किल है. युवाओं के सामने सरकारी नौकरी एक अच्छा विकल्प हो सकती है लेकिन खाली पदों पर भर्ती ना होना या फिर नियुक्ति के पत्र योग्य युवाओं तक ना पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि सरकार सरकारी नौकरियां देने के संबंध में गंभीर नहीं है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कोविड-19 से मरने वाले सभी व्यक्तियों के परिजनों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था. राठौड़ इस मुआवजे की पात्र हो सकती थीं. इसके पात्र लोगों में वे सब शामिल थे, जिनकी मृत्यु टेस्ट में कोविड पॉजिटिव आने या क्लीनिकल तौर पर नोवेल कोरोना वायरस की पुष्टि होने के 30 दिनों के भीतर हो गई थी. हालांकि, राज्य सरकार ने प्रमाण-पत्र दिलाने के लिए हर जिले में शिकायत निपटारा समितियों का गठन किया है, लेकिन सिंह के परिवार को इसकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

आर्थिक उदारीकरण के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि देश के सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों की वार्षिक आय में बीते पांच सालों में 53 फीसदी की गिरावट आई है. र्ष 2020-2021 में गरीब लोगों की आय 2015- 2016 की तुलना में 53 फीसदी कम हो गई है. यह आय 1995 के बाद से लगातार बढ़ रही थी. इस समान अवधि में देश के सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की वार्षिक आय में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देश के बड़े शहरों में कचरा बीनने वालों के पास पांच फीसदी से भी कम स्वास्थ्य बीमा है, जबकि 79 प्रतिशत सफाई साथियों के जनधन खाते नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की ओर से 25 जनवरी 2022 को कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का बेसलाइन विश्लेषण जारी किया गया. दावा किया गया है कि यह अब तक का सबसे बड़ा असेसमेंट है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने 17 जनवरी को असमानता पर अपनी 2022 की रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट में संगठन ने दुनियाभर की सरकारों की असमानता को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ने देने के लिए आलोचना की है. रिपोर्ट का दावा है कि दुनिया ने अरबपतियों की संपदा में अभूतपूर्व वृद्धि को देखा। जब से कोविड-19 चालू हुआ है, तबसे हर 26 घंटे में एक अरबपति पैदा होता है. रिपोर्ट में खोजे गए तथ्यों के मुताबिक़, दुनिया के 10 सबसे अमीर पुरुषों ने उस दौरा में अपनी संपत्ति दोगुनी कर ली, जब मार्च, 2020 से नवंबर, 2021 के बीच, दुनिया के कम से कम 16 करोड़ लोग गरीबी में धकेल दिए गए. वहीं दूसरी ओर इसी अवधि में दुनिया की 99 फ़ीसदी आबादी की आय कम हुई है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में जिस तरह से पूर्ण या आंशिक रुप से स्कूल बंद करने पड़े हैं उससे दुनिया भर में करीब 63.5 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है. यह जानकारी हाल यूनिसेफ द्वारा साझा नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है. वैश्विक स्तर पर शिक्षा में आए व्यवधान का मतलब है कि लाखों बच्चे उस स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए थे, जो उन्हें कक्षा में होने पर मिलती. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे और कमजोर वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा हुआ है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सोशल मीडिया पर इसका इलाज/उपचार होने का दावा करने वाले विभिन्न पोस्ट वायरल हो रहे हैं. ऐसी ही एक और पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसमें दावा किया गया है कि इस बार कोरोनावायरस की लहर पहली दो लहरों से अलग है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को वित्तीय सहायता देने के राज्य की भाजपा सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि यह अव्यावहारिक और पीड़ितों के ‘जख्मों पर नमक लगाने’ जैसा है. मंत्री परिषद ने 18 जनवरी को घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को आर्थिक सहायता देने की एक योजना को मंजूरी दी है. ओझा ने एक बयान में इस निर्णय को एक नया जुमला बताते हुए कहा, प्रदेश का खजाना खाली होने के बावजूद लिया गया यह फैसला न केवल पूरी तरह अव्यावहारिक है, बल्कि पीड़ितों के जख्मों पर नमक लगाने जैसा है .विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण को अब लगभग डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. वायरस के म्यूटेशन के साथ आई दूसरी लहर का कई देशों पर गंभीर असर देखने को मिला. भारत के संदर्भ में बात करें कोरोना की दूसरी लहर अब लगभग धीमी पड़ चुकी है. कई रिपोर्टस में दावा किया जाता रहा है कि जून-जुलाई के महीने में जब देश में तापमान काफी अधिक हो जाता है तब इस वायरस का असर कम हो सकता है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में अब तक 158 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है. जिसमें पहला, दूसरा और ऐहतियाती टीका शामिल हैं, लेकिन इस बीच शीर्ष महानगरों में टीकाकरण के मामले में पुरुषों और महिलाओं की संख्या के बीच एक बड़ी खाई देखी गई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जनवरी तक मुंबई में 1.10 करोड़ पुरुषों को टीके लगे, इसके मुकाबले महिलाओं की संख्या 76.98 लाख रही. यानी कि प्रति एक हजार पुरुषों पर 694 महिलाओं का टीकाकरण हुआ. जो इस शहर के लिंगानुपात (832) से बहुत कम है. ऐसा ही अंतर दिल्ली में भी देखा गया.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।