दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों को लेकर मास्क पहनने के दिशा-निर्देशों को अपडेट किया है. डब्ल्यूएचओ ने सुझाव दिया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क नहीं पहनना चाहिए. यह निर्णय मास्क पहनने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए किया गया। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2017-19 के दौरान करीब 5,68,000 लोग बलपूर्वक विस्थापित किए गए हैं. रिपोर्ट “वर्ष 2019 में भारत में जबरन बेदखली: एक राष्ट्रीय संकट” में बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान 1,17,770 से अधिक आवासों को उजाड़ा गया. इस दौरान औसतन 108 मकानों को प्रतिदिन उजाड़ा गया. दूसरे शब्दों में कहें तो रोज करीब 519 लोगों ने अपना घर खोया और हर घंटे 22 लोग जबरन बेदखल किए गए. वर्ष 2019 में कम से कम 22,250 घरों को उजाड़ा गया जिससे 1,07,600 से अधिक लोग विस्थापित हुए. रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में लगभग डेढ़ करोड़ लोग बेदखली और विस्थापन के खतरे के बीच रह रहे हैं. एचएलआरएन के अनुसार, यह एक न्यूनतम अनुमान है, असल में विस्थापन के खतरे में रहने वाले लोगों की संख्या लिखित आंकड़ों से अधिक होने की संभावना है। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के बीच अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ नौकरियां चली गई हैं. सीएमआईई ने बताया है कि अप्रैल में 17.7 करोड़ वैतनिक नौकरियां गईं और इसके बाद मई में एक लाख नौकरियां चली गईं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए 27 फीसदी छात्रों के पास स्मार्टफोन और लैपटॉप की सुविधा नहीं हैं. ये वे बच्चे हैं जो शहर के सबसे अच्छे केन्द्रीय विद्यालयों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं. सोचिए जब इनकी ये स्थिति है तो गांवों में शिक्षा का क्या हाल होगा? वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन कक्षाएं लेने वाले अधिकतर बच्चों ने इसे मजेदार और संतोषजनक पाया जबकि गणित और विज्ञान सीखने में उन्हें सबसे अधिक कठिनाई आई। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
देश में कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए. यह दावा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की संयुक्त रिपोर्ट में किया गया है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गई. अभी इसके दायरे में रेलवे भर्ती, बैंकों की भर्ती और एसएससी आएंगे और परीक्षा में हासिल स्कोर तीन साल तक मान्य होगा। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
प्रदेश में सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की घोषणा करने के दो दिन बाद ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश की शासकीय नौकरियां अब केवल राज्य के बच्चों को ही दी जाएंगी और इसके लिए हम आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के युवाओं का भविष्य ‘बेरोजगारी भत्ते’ की बैसाखी पर टिका रहे, यह हमारा लक्ष्य न कभी था और न ही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
बीते नौ अगस्त को ट्रेड यूनियनों ने श्रम नीति, विनिवेश और निजीकरण के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया था. प्रदर्शन के दौरान कोविड-19 नियमों को उल्लंघन करने के आरोप में कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. अब ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. आपको बता दें कि ये प्रदर्शनकारी श्रम नीति, विनिवेश और निजीकरण के खिलाफ नौ अगस्त को विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इन संगठनों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ नौ अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। सुनने के लिए ऊपर के ऑडियो पर क्लिक करें।
सोशल मीडिया पर एक नामी अखबार के सम्पादकीय की कटिंग पोस्ट वायरल हो रही है. जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए देश भर में अलग-अलग रेलवे स्टेशन पर तीन हजार भिखारियों को नियुक्त करेगी. इस खबर के वायरल होने के बाद PIB फैक्ट चेक ने इसका खंडन किया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कई परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. एक तरफ काम छूटने की पीड़ा ऊपर से इस बीमारी का खौफ. आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश के करीब 19.5 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हैं.जोकि देश की आबादी का 14.5 फीसदी हिस्सा है. ऐसे में यह ऑक्सफेम द्वारा प्रकाशित नई रिपोर्ट और भी बुरी स्थिति की ओर इशारा कर रही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।