भारत में हर वर्ष करीब 6.88 करोड़ टन भोजन बर्बाद कर दिया जाता है. यदि इसे प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखें तो प्रत्येक व्यक्ति हर वर्ष 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ‘फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021’ में सामने आई है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
सोशल मीडिया पर एक हिंदी अखबार की कटिंग काफी तेजी से वायरल हो रही है. अखबार के एक पेज पर सोशल मीडिया से जुड़ी एक खबर की हेडलाइन लिखा है, सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट डाली तो 5 साल जेल. अखबार पढ़ने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुई इसकी तस्वीर ने ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सऐप चलाने वाले लोगों की टेंशन बढ़ा दी. सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने वाली इस खबर की पड़ताल की गई तो सच्चाई सामने आ गई.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सितंबर 2020 में संसद द्वारा पास किए कृषि कानूनों को लेकर किसान गुस्से में हैं। किसान संगठनों का कहना है कि ये कानून कारपोरेट के फायदे के लिए हैं। इन कानूनों के लागू होने के बाद कारपोरेट्स न केवल आसानी से कृषि उपज खरीद सकेंगे, बल्कि जरूरत के मुताबिक ठेके पर खेती करवा सकेंगे और उपज खरीद कर अपने पास जमा कर सकेंगे। यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसएफडी) के फॉरेन एग्रीकल्चरल सर्विस ने 17 जुलाई 2019 को भारत के रिटेल फूड सेक्टर पर एक रिपोर्ट “रिटेल सेक्टर एक्सपेंशन क्रिएट न्यू अपॉर्चुनिटीज फॉर हाई वेल्यू प्रोडक्ट्स ” जारी की।इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
24 फरवरी को यूरोपियन कमिशन ने एक परामर्श पत्र जारी किया ताकि प्लेटफार्म कर्मियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विमर्श की प्रक्रिया आरंभ हो सके. नीति-निर्माण से जुड़ी कार्यकारी कार्यवाही इसी परामर्श पत्र के साथ शुरू हुई. यह इत्तेफाक़ ही है कि पिछले हफ्ते उबर यूके के सर्वोच्च न्यायालय में अपना मुकदमा हार गई। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के नाम से बनाई गई इस फर्जी वेबसाइट पर 2100 रुपये में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में नौकरी का लालच दिया जा रहा है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
6 मार्च 2021 को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन शुरू होने के 100 दिन पूरे हो जाएंगे. उस दिन दिल्ली व दिल्ली सीमाओं के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेस-वे पर 5 घंटे की नाकाबंदी होगी. यह सुबह 11 से शाम 4 बजे के बीच जाम किया जाएगा
हाल में ही सामने आए एक सर्वे में कहा गया है कि कोरोनावायरस को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के दौर के दौर में महाराष्ट्र में लोगों की कमाई काफी घटी है. फूड राइट्स पर काम करने वाली एक सामाजिक संस्था के सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन की अवधि में 96 फ़ीसदी लोगों की आमदनी घट गई थी.लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए काम करने वाली संस्था अन्न अधिकार अभियान के लिए राज्य की समन्वयक मुक्ता श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में लोगों की आमदनी में कमी आने का मुख्य कारण नौकरियां जाना और काम की उपलब्धता नहीं होना थी. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में शामिल हर पांचवें व्यक्ति को भोजन खरीदने के लिए पैसा नहीं होने के कारण भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ा. जिन लोगों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें से 96 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कोरोना संकट की अवधि में कमी आई है. लॉकडाउन हटने के पांच महीने बाद तक उनकी स्थिति ऐसी ही बनी रही. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सर्वे में शामिल किया है, उनमें से 52 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं. सर्वे में शामिल बाकी लोग शहरी इलाकों के रहने वाले हैं. इनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं हैं. लॉकडाउन से पहले करीब 70 फीसदी लोगों की मासिक आय 7000 रुपये थी और बाकी की मासिक आय 3000 रुपये थी. उन्होंने कहा, "पहले से ही इतनी कम आय के बाद आमदनी और घटना इस बात का संकेत है कि कोरोना संकट का इन लोगों पर कितना बुरा असर पड़ा है. साथियों लॉकडाउन खत्म होने के बाद क्या अब आपकी कमाई में सुधार हुआ है? क्या रोजगार खो चुके लोगों को फिर से काम मिलना शुरू हो रहा है? कोरोना के बाद अब आपके जीवन में और आजीविका में क्या अंतर आया है? अपनी बात हम तक पहुंचाएं फोन में नम्बर 3 दबाकर.
उज्ज्वला योजना के पोस्टर पर महिलाओं के लिए लिखी ये बातें अब सिर्फ पोस्टर के कागज तक ही सिमट कर रह गई हैं. गैस सिलेंडर को महिलाओं के सम्मान से जोड़ने वाली मोदी सरकार अब इसकी बढ़ती कीमतों पर मौन साधे हुए है. बीजेपी की तेर-तरार नेता स्मृति ईरानी जो यूपीए सरकार के दौरान इन मसलों को लेकर काफी सक्रिय रही थीं और गैस सिलेंडर लेकर धरने पर भी बैठती थीं अब उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्री बनने के बाद अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली है. आपको बता दें कि सरकारी तेल कंपनियों ने आज यानी 1 मार्च को फिर गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी की है. यह बढ़ोतरी सभी कैटेगिरी के सिलेंडर में की गई है. बीते महीने फरवरी में घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम 3 बार बढ़ाए गए थे. इस साल के शुरुआती दो महीनों में ही अभी अब तक बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 125 रुपये महंगा हुआ है. हालांकि बावजूद इसके सरकार लोगों को अच्छे दिन का सपना दिखाने में मस्त है. ख़बरों के मुताबिक, घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई है जबकि कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में 19 रुपये का इजाफा हुआ है. खास बात ये है कि सब्सिडी और बिना सब्सिडी वाले दोनों सिलेंडरों के दाम बढ़े हैं. जिसके बाद आम आदमी और खासकर उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की मुश्किलें ज्यादा बढ़ गई हैं.यानी सरकार ने गैस चूल्ला तो थमा दिया लेकिन सिलेंडर की कीमतें बढ़ाकर उसमें जलने वाली आग बुझा दी. साथियों, आपके क्षेत्र में रसोई गैस के नए दाम क्या हो गए हैं? कीमतों में आए उछाल के कारण आपके रसोईघर का बजट किस तरह प्रभावित हो रहा है? उज्जवला योजना के लाभार्थी क्या नया सिलेंडर खरीदने में सक्षम हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाएं फोन में नम्बर 3 दबाकर.
देश में 1 मार्च से आम आबादी को कोरोना का टीका लगने का काम शुरू हो जाएगा. वैक्सीनेशन के पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई गई. अब देश में एक मार्च से वैक्सीनेशन का दूसरा चरण शुरू होगा. इस चरण में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाएगी। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
खेती की लागत बढ़ने, जलवायु में बदलाव के चलते होने वाले खतरों से और बाजार की दोषपूर्ण नीतियों से घिरे हुए किसान खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जो इस संघर्ष में जीत गए वे जी रहे हैं और हारने वालों के पास मौत के अलावा कोई रास्ता नहीं है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।