जब भी बात चुनौती भरे कामों की आती है तो लोग महिलाओं को पुरुषों से कम ही आंकते हैं. लेकिन इन धारणाओं को दरकिनार करते हुए शिवपुरी की महिला टीआई अनीता मिश्रा ने सफलता के नए आयाम तय किए हैं. तो चलिए सुनते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अनीता मिश्रा जी के विचार.

जब वो बच्ची थी, तभी माता—पिता ने उसे ब्याह दिया. ससुराल नर्क से बदत्तर था, पति से प्यार मिलना तो दूर सम्मान के दो शब्द न मिले. वह चुपचाप सब कुछ सहती रही. फिर एक दिन पति ने गुस्से में उसके दोनों हाथ काटकर मरने के लिए फेंक दिया... फिर क्या हुआ? क्या जानना नहीं चाहेंगे आप?

अंतरराष्टीय महिला दिवस पर अक्सर उन महिलाओं का जिक्र किया जाता है, जो सशक्त हैं, चुनौतियों का सामना करना जानती है. और जब हम इन महिलाओं की सूची बनाते हैं तो डायना एडुल्जी का जिक्र करना लाजमी है. डायना, बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया, यानी बीसीसीआई के कामकाज पर नजर रखने वाली कमेटी की चेयरपर्सन हैं. भारत सरकार उन्हें अर्जुन अवॉर्ड और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है. तो चलिए सुनते हैं उस महिला की कहानी जो उस बीसीसीआई पर राज करती हैं जहां पुरुषों की सत्ता काबिज है.

वॉशरूम में नहाते-नहाते जब साबुन पतला होकर बच जाता है, तो उसका क्या करते हैं आप? जाहिर है कि वो कचरे में चला जाता है. या फिर घुल कर बह जाता है! लेकिन हम आपसे कहें कि इन साबुनों से कुछ औरतें लाखों बच्चों को बीमारियों से बचाने का शानदार काम कर रही हैं तो? अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको महिलाओं के इसी साहसिक प्रयास की कहानी सुना रहे हैं.

तलाक के बाद क्या होता है? आमतौर पर पति—पत्नी की राहें जुदा हो जाती हैं. वे एक दूसरे को देखना भी नहीं चाहते...पर क्या वाकई! आज हम आपको जो कहानी सुना रहे हैं वह इस धारणा को सिरे से खारिज करती है. एक औरत के दिल में अपने टूटे हुए रिश्ते के लिए भी प्यार कभी मरता नहीं है. हैरान न हों, कि इस कहानी का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से क्या नाता! नाता तो है, वो गहरा वाला. क्योंकि यह कहानी एक ऐसी औरत की जिसने तलाक के 20 साल बाद भी अपने पति को किडनी दान देकर उसकी जिंदगी लौटाई...

सदियों से मान्यताओं की बंदिश में बंधी हमारे देश की महिलाएं भगवान की पूजा तो करती हैं, लेकिन पूजा करवाने का ​अधिकार अभी भी उनके हिस्से नहीं आया है. हम जब भी देखते हैं पंडित के आसन पर बैठा कोई पुरुष ही नजर आता है. पर आज सुनिए उस मां की कहानी जिसने सदियों से चली आ रही इस धार्मिक मान्यता को तिलांजलि देते हुए मिसाल कायम की है.

"शहीद" और "सुहागन"! भला कैसे ये दो शब्द साथ—साथ लिए जा सकते हैं? क्योंकि आमतौर पर तो शहीद की "विधवाएं" होती हैंत्र लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको मिलवा रहे हैं 1962 में हुई भारत-चीन जंग में शहीद हुए भीकाराम की सुहागन गट्टू देवी से.

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